मुकेश खन्ना का आरोप: कपिल शर्मा की बदतमीज़ी से नाराज़, अवार्ड शो का कड़वा अनुभव!

हाल ही में प्रसिद्ध अभिनेता मुकेश खन्ना ने कॉमेडियन कपिल शर्मा के प्रति अपनी नाराजगी का कारण बताया है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि कपिल शर्मा ने एक अवार्ड समारोह के दौरान उनके साथ अनुचित व्यवहार किया था। मुकेश खन्ना ने अपने विचारों को साझा करते हुए एक पॉडकास्ट “अनसेंसर्ड विद शार्दुल” में कहा कि भारत में लोगों का मनोरंजन करने वाले कई लोग हैं, लेकिन कुछ की आदतें उन्हें पसंद नहीं आतीं। उन्होंने कपिल शर्मा की पेशेवर etik की आलोचना की और बताया कि क्यों वह कपिल के शो में जाने से इनकार कर चुके हैं।

मुकेश खन्ना ने कहा, “जब मैंने गोल्ड अवार्ड्स में भाग लिया, तब कपिल शर्मा मुझे पहचानने में असमर्थ थे। वह अवार्ड लेने के लिए आए, लेकिन मेरे पास बैठने के दौरान उन्होंने मुझे नजरअंदाज किया और 20 मिनट तक मेरी उपस्थिति का ध्यान नहीं रखा। जब उनका नाम पुकारा गया, तो उन्होंने बिना किसी बातचीत के पुरस्कार लिया और वहां से चले गए।” इस घटना ने खन्ना को यह एहसास कराया कि कपिल को शोहरत मिली होने के बावजूद, वे पेशेवर हलकों में तहजीब का सम्मान नहीं करते।

इसके आगे, मुकेश खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री की भाईचारे की भावना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई शीर्ष अभिनेताओं के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं, लेकिन कपिल शर्मा के व्यवहार ने उनके लिए एक अलग छवि बनाई। खन्ना ने बताया कि वह कई बार अमिताभ बच्चन से उड़ान में मिले हैं और कैसे उन्होंने एक-दूसरे के प्रति सम्मान जताया, भले ही वे व्यक्तिगत मित्र नहीं हों। उन्होंने ऋतिक रोशन के साथ एक अनुभव साझा किया, जिसमें ऋतिक ने उन्हें एयरपोर्ट पर आकर कहा कि “इस समय इस एयरपोर्ट पर दो सुपरहीरो खड़े हैं”।

इंडस्ट्री में अपनी छवि के लिए मुकेश खन्ना को 1988 में ‘महाभारत’ धारावाहिक में भीष्म पितामह की भूमिका से पहचान मिली थी। इस शो ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया। इसके बाद भी उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और अभिनेता प्रकाश राज, मुरली शर्मा और राज तरुण के साथ तेलुगु फिल्म ‘पुरुषोत्तमदु’ में भी नजर आए। इस प्रकार, उनके अनुभवों ने उन्हें इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।

मुकेश खन्ना द्वारा कपिल शर्मा के प्रति रखी गई यह नाराजगी न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि यह भारतीय फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में एक व्यापक मुद्दे को भी उजागर करती है। वे यह सुझा रहे हैं कि सम्मान और शिष्टाचार केवल व्यक्तिगत भावनाओं तक ही सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि ये पेशेवर संबंधों में भी अत्यंत जरूरी हैं। उनके विचार भारतीय मनोरंजन उद्योग में साथी कलाकारों के साथ एक स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।