पूजा शर्मा कैसे 4,000 बेसहारा दिवंगतों को दे रहीं सम्मानजनक विदाई: ट्रू होप फाउंडेशन की कहानी!

एक ही व्यक्ति की संवेदनशीलता से शुरू हुआ एक मिशन आज एक व्यापक अभियान में बदल चुका है। ब्राइट द सोल फाउंडेशन की संस्थापक पूजा शर्मा ने अनाथ और अज्ञात दिवंगतों के अंतिम संस्कार के संरक्षण के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। राजस्थान के ट्रू होप फाउंडेशन के सहयोग से, उनका यह मिशन अब नए नगरों और अधिक संसाधनों तक पहुँचना शुरू कर चुका है। पिछले कुछ वर्षों में, पूजा ने 4,000 से अधिक दिवंगत आत्माओं का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया है। उनके कार्य में केवल शवों को श्मशान तक पहुँचाना ही नहीं, बल्कि विधिपूर्वक उनकी अंतिम क्रियाएं करना भी शामिल है। इसके साथ ही, वे हर अमावस्या को हरिद्वार में गंगा में अस्थि विसर्जन करती हैं और आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना करती हैं। पूजा का यह कार्य जो पहले व्यक्तिगत और आत्म-प्रेरित था, अब ट्रू होप फाउंडेशन द्वारा प्रदत्त फंडरेजिंग सहायता से और भी विस्तारित हो चुका है।

ट्रू होप फाउंडेशन के संस्थापक कुलदीप खत्री ने कहा कि वर्ष 2023 में जोधपुर में इस फाउंडेशन की स्थापना के बाद से, मुझे इस बात का अनुभव हुआ है कि क्राउडफंडिंग के जरिए एकजुट होने वाले लोगों की शक्ति कितनी प्रभावशाली हो सकती है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में हम अनेक जिंदगियों में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल हुए हैं। चाहे वह बेसहारा जानवरों को नया जीवन देना हो, बुजुर्गों को गरिमामयी जीवन मुहैया कराना हो, या कठिन समय में जरूरतमंद परिवारों को भोजन और आश्रय उपलब्ध कराना हो। हमारी प्राथमिकता अब स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा सहायता पर केंद्रित है, विशेष रूप से उन लोगों पर, जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं और उपचार की आर्थिक स्थिति में नहीं हैं।

कुलदीप खत्री ने यह भी बताया कि उनकी टीम का लक्ष्य है कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ संसाधनों की कमी के कारण पिछड़ न जाए। फाउंडेशन के प्रयासों ने न केवल फंडरेजिंग में मदद की है, बल्कि यह समाज में यूथ को भी सक्रियता से जोड़ने में सहायक रहा है। खत्री के अनुसार, यह आंदोलन अब केवल अनाथों और दिवंगतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक सेवा का रूप ले चुका है, जो जरूरतमंद लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान कर रहा है।

इस प्रकार, पूजा शर्मा और कुलदीप खत्री जैसे सक्रिय व्यक्तियों की प्रतिबद्धता ने न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामूहिक स्तर पर भी समाज में बड़ा बदलाव लाने में मदद की है। यह आंदोलन लोगों को जोड़ने और एक-दूसरे की मदद करने की भावना को प्रोत्साहित करने का एक सशक्त उदाहरण है। ऐसे प्रयासों से न केवल दिवंगत आत्माओं को सम्मान मिलता है, बल्कि जीवित लोगों के जीवन में भी एक नई रोशनी का संचार होता है।