राजस्थान में हाल ही में हुए पेपर लीक मामलों ने सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार का एक नया और गंभीर चेहरा उजागर किया है। एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने इन मामलों में कई माफियाओं की गिरफ्तारी की है और उनके रिश्तेदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रमुख माफिया जैसे पोरव कालेर, हर्षवर्धन मीणा और रोशन लाल मीणा सहित कई अन्य ने पेपर लीक के जरिए अपार धन अर्जित किया और अपने परिजनों को भी सरकारी नौकरियों में लगवाया। इन मामलों में करीब 250 सरकारी कर्मचारियों की सूची तैयार की गई है, जिनके चयन में अनियमितताओं के सबूत मिले हैं। जांच के दौरान 86 कर्मचारियों को सेवा से निलंबित या समाप्त किया जा चुका है।
पौरव कालेर जैसे कुख्यात माफिया ने न केवल पेपर लीक किया, बल्कि अपनी पत्नी भावना गोस्वामी को भी लीक पेपर से ईओ-आरओ परीक्षा में चयनित कराया। एसओजी ने उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया है। वहीं, उसकी साली प्रियंका गोस्वामी, जो एसआई की परीक्षा में सफल हुई थी, जांच के दौरान फरार हो गई। इस प्रकार, जिन माफियाओं ने अपनी परिवारजन को नौकरी दिलाने में मदद की, उन पर एसओजी का शिकंजा तेजी से कसता जा रहा है।
हर्षवर्धन मीणा की कहानी भी समानांतर है। वह एक सफल पटवारी था, जिसने पेपर लीक के माध्यम से करोड़ों की संपत्ति बनाई और अपनी पत्नी तथा रिश्तेदारों को भी सरकारी पदों पर स्थापित किया। उसकी पत्नी ने भी लीक पेपर से परीक्षा उत्तीर्ण की और इस मामले में आगे की कार्रवाई जारी है। यहां तक कि उनके परिवार के अन्य सदस्य भी विवादों में घिरे हुए हैं। इन सबमामलों को देखते हुए एसओजी ने सभी संबंधितों की सूची तैयार करके जांच शुरू कर दी है।
रामूराम राइका जैसे पूर्व आरपीएससी सदस्य ने अपने बच्चों को भी लीक पेपर से थानेदार बनवाने की कोशिश की थी। उनकी औसत छात्रा बेटियों को भी उच्च रैंक प्राप्त हुई थी, जो कि संदेह का विषय है। राइका सहित अन्य आरोपी कई गिरफ्तारियों का सामना कर रहे हैं, और एसओजी ने ऐसे मामलों में तेजी लाने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, राजेंद्र कुमार यादव जैसे शिक्षकों के मामलों में भी पेपर लीक के गंभीर आरोप लगे हैं, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया था।
एसओजी की प्रवर्तन कड़ी व प्रभावी कार्रवाई से ये स्पष्ट हो रहा है कि राजस्थान में पेपर लीक के मामलों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। अब तक 110 एफआईआर दर्ज कर 280 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 86 कर्मचारी सेवा से बर्खास्त हुए हैं। इस प्रकार, राजस्थान में सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता और ईमानदारी को बनाए रखने के लिए इस तरह के कदम महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। सरकार इस दिशा में कठोर कदम उठा रही है, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके।