कहीं आपका बच्चा इस स्कूल में तो नहीं? कोटा में प्रिंसिपल की चौंकाने वाली हरकतें उजागर!

कोटा के सांगोद स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय स्कूल में हाल ही में एक घटना ने सभी को चौंका दिया है। विद्यालय की छात्राओं ने प्रिंसिपल सुरेश कुमार मीणा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें छात्राओं का कथित रूप से मानसिक और शारीरिक शोषण शामिल है। विशेषकर जब एक छठी कक्षा की छात्रा के साथ प्रिंसिपल द्वारा की गई बेरहमी की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने छात्राओं में भय की स्थिति उत्पन्न कर दी है, और उन्होंने प्राचार्य पर बार-बार बिना जानकारी के हॉस्टल परिसर में आने और अभद्र भाषा का उपयोग करने का आरोप भी लगाया है।

किसी भी आरोप की सच्चाई जानने के लिए भास्कर टीम ने विद्यालय में पहुंचकर छात्राओं से बातचीत की। एक छात्रा ने बताया कि 6 अप्रैल की सुबह प्रिंसिपल ने उसे कई थप्पड़ मारे और बाद में उसका सिर लोहे के एंगल से मारा। छात्राओं ने इस तरह की मारपीट के कई उदाहरण पेश किए हैं, और उनका कहना है कि प्रिंसिपल की इस हरकत ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। छात्राओं का कहना है कि उन्हें इसके पहले भी कई बार बिना बड़ी वजह के प्रिंसिपल द्वारा पीटा गया था, जिससे उनमें डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है।

छात्राओं ने बताया कि स्कूल में उपस्थित कुछ टीचर इस स्थिति पर चुप्पी साधे हुए हैं, और उन्होंने यह भी कहा कि कई बार प्रिंसिपल ने उनके परिवार के सदस्यों के साथ भी अभद्रता की है। एक छात्रा ने बताया कि प्रिंसिपल बिना किसी सूचना के हॉस्टल कैंपस में आते हैं, जो उन्हें बहुत असहज करता है और डराता है। उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत पेटी की स्थिति भी चिंताजनक है, क्योंकि वह प्रिंसिपल के सामने ही खुलती है। इस वजह से छात्राएं शिकायत करने से डरती हैं और अपनी समस्या को व्यक्त नहीं कर पातीं।

इस बीच, स्कूल में प्रिंसिपल के समर्थन में कुछ छात्राएं भी हैं, जिन्होंने कहा कि अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रिंसिपल का सख्त रवैया आवश्यक है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि छात्राओं के साथ बेरहमी से मारपीट करना गलत है। छात्राओं ने संपर्क में कहा कि प्रिंसिपल की इस हरकत को माफ किया जाना चाहिए, साथ ही उनका ट्रांसफर भी एक विकल्प हो सकता है। इस स्थिति में यदि कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

यह स्थिति शिक्षा के अधिकारों और छात्राओं की सुरक्षा के माध्यम से गंभीर सवाल उठाती है। स्कूल में लगभग 465 छात्राएं रह रही हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के मुद्दे पर कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। अब यह देखना होगा कि इस घटना के बाद प्रशासन क्या कदम उठाएगा, ताकि स्कूल में एक सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।