गर्मियों में क्यों उग्र होते आवारा कुत्ते? यूपी में सबसे ज्यादा हमले, हर साल 2 लाख शिकार!

**लखनऊ और आस-पास के जिलों में आवारा कुत्तों का आतंक**

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कई जिलों में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। हाल ही में लखनऊ, बाराबंकी, बुलंदशहर, फर्रुखाबाद और बांदा जैसे स्थानों से कुत्तों के हमलों की alarming घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से एक गंभीर मामला बांदा का है, जहां 11 अप्रैल को आवारा कुत्तों ने दो बच्चों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया है। बच्चों का इलाज जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में चल रहा है और उनकी स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है।

हाल के महीनों में कुत्तों के हमलों में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें कई जिंदगियों का नुकसान भी हुआ है। उदाहरण के तौर पर, बाराबंकी में एक बच्ची के साथ ऐसा ही एक दुखद incident हुआ, जहां कुत्तों के झुंड ने उसे बुरी तरह घायल कर दिया। स्थानीय लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन निराशाजनक स्थिति में बच्ची की मौत हो गई। इसी तरह का एक मामला अमरोहा में भी देखने को मिला, जहां 8 साल की बच्ची पर कुत्तों ने हमला किया, जिससे उसकी जान चली गई। इस प्रकार के крटकों की श्रृंखला न केवल बच्चों तक सीमित है, बल्कि कई वयस्कों को भी प्रभावित कर रही है।

आवारा कुत्तों के हमलों का यह बढ़ता ग्राफ गर्मियों के मौसम में और भी गंभीर हो जाता है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी के प्रभाव के कारण कुत्तों में चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है। जब तापमान बढ़ता है तो उन्हें खुराक की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी आक्रामकता बढ़ सकती है। इसके अलावा, उनमें पसीने की ग्रंथियों का न होना भी इस स्थिति को बढ़ाता है, जिससे वे अपनी गर्मी के स्तर को नियंत्रित नहीं कर पाते और आक्रामकता का शिकार बन जाते हैं।

हालांकि, लखनऊ नगर निगम के अनुसार, शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 95,000 है, और वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल 20 लाख से अधिक आवारा कुत्ते हैं। इससे पहले 2012 की तुलना में हालात में सुधार हुआ है, लेकिन यह भी चिंता का विषय है।
राज्य सरकार द्वारा कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कब से चलाए जा रहे नसबंदी अभियानों के बावजूद यह समस्या बरकरार है। ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने 2019 से 2024 के बीच लखनऊ में 89,000 आवारा कुत्तों की नसबंदी की है।

हालांकि, यह पर्याप्त नहीं दिखाई देता। राज्य में आवारा कुत्तों द्वारा होने वाले हमलों की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है, और इससे होने वाली मौतों की संख्या भी चिंताजनक है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर में कुत्तों के काटने की घटनाओं पर रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2022 से 2025 तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है।

आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए अब समय आ गया है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर ठोस कदम उठाएं ताकि जनसुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करने, नसबंदी अभियान और जागरूकता कार्यक्रमों को अधिक सक्रिय बनाने की आवश्यकता है।