प्रयागराज में एक दुखद घटना में क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर तरूण पांडेय ने अपनी लाइसेंसी राइफल से आत्महत्या कर ली। वह वाराणसी में तैनात थे, पर पिछले कुछ दिनों से प्रयागराज में अपने घर पर अकेले रह रहे थे। सूत्रों के अनुसार, उन्हें रीढ़ की हड्डी में गंभीर बीमारी थी, जिससे वह काफी परेशान थे। घटना का समय लगभग शाम 5 बजे का है, जब उन्होंने म्योर रोड पर अपने निवास पर यह गंभीर कदम उठाया। गोली की आवाज सुनकर आसपास के निवासियों ने तत्काल डायल 112 पर सूचित किया।
जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्हें बेडरूम में खून से लथपथ इंस्पेक्टर का शव मिला। राइफल उनके पैरों के पास पड़ी हुई थी और बताया जा रहा है कि वह हाफ पैंट और बनियाइन पहने हुए थे। घटनास्थल पर बीयर की एक बोतल भी पाई गई, जिससे इस घटना का संदर्भ और भी गहरा हो गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और उनके परिवार को सूचना दी गई।
तरूण पांडेय गोंडा जिले के बैजलपुर गाँव के मूल निवासी थे। एक पड़ोसी के अनुसार, उन्हें गोली की आवाज सुनाई दी, जिसे पहले पुलिस लाइन से आने वाली आवाज समझा गया। पड़ोसियों की चिंता बढ़ी, और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित कर दिया। जब पुलिस अंदर गई, तो पाया कि गेट अंदर से बंद था। स्थिति को देखते हुए पुलिस वालों ने बाउंड्री कूदकर इमारत में प्रवेश किया और बेडरूम में पहुंचकर इस दुखद घटना का सामना किया।
उनकी पत्नी पूनम और बेटा ईशान इस समय बंगलुरू में थे। परिवार के सदस्यों को घटना की सूचना मिलने पर वे देर रात प्रयागराज पहुंचे। यह भी कहा गया है कि तरूण पांडेय 6 महीने से सस्पेंड चल रहे थे और उनका इलाज दिल्ली में चल रहा था। उनके ड्राइवर सुनील यादव ने बताया कि उनके साहब ने उन्हें 10 दिन पहले छुट्टी दी थी, ताकि वह अपने घर जा सकें। सुनील के अनुसार, तरूण पांडेय उन्हें बेटे की तरह मानते थे और हमेशा उनकी समस्याओं में सहायता के लिए तैयार रहते थे।
इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, और राइफल को जब्त कर लिया गया है। यह घटना न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे पुलिस महकमे के लिए एक बड़ा सदमा है। ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समर्थन पुलिसकर्मियों को पर्याप्त रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि ऐसे दुखद घटनाओं से बचा जा सके। इस मामले की हर पहलू से जांच करना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।