झालावाड़ जिले में पानी संकट के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए तत्काल व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए हैं। रायपुर कस्बे में जब स्थानीय लोगों ने जलसंकट की समस्या के बारे में राजे से बातचीत की, तो उन्होंने अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। इस पर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी राय साझा करते हुए अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
राजे ने अपने पोस्ट में लिखा, “क्या जनता को प्यास नहीं लगती? केवल अधिकारियों को ही प्यास लग रही है। गर्मी के इस मौसम में पेयजल संकट से लोग त्रस्त हैं लेकिन अधिकारी संतुष्ट दिखाई दे रहे हैं। पानी लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जबकि उन्हें इसे कागजों पर प्रगति की तरह दिखाया जा रहा है। लोग परेशान हैं और अधिकारी सोते हुए नजर आ रहे हैं। मैं इसकी अनुमति नहीं दे सकती।” राजे ने अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि वे जल जीवन मिशन के तहत प्राप्त धन का सही ढंग से उपयोग नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा जल जीवन मिशन के लिए दिए गए 42 हजार करोड़ रुपये में से झालावाड़ के हिस्से का सही हिसाब पेश किया जाए। राजे ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने पेयजल संकट के समाधान के लिए पर्याप्त निधि प्रदान की है, लेकिन अधिकारी इन योजनाओं का सही क्रियान्वयन नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण राजस्थान के लोग पानी के बिना पीड़ित हैं। उनका यह भी कहना था कि यदि यह अप्रैल का हाल है, तो जून और जुलाई में स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
राजे के इस तल्ख तेवर ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। उनके झालावाड़ दौरे के दौरान लोगों की लगातार जल संकट से संबंधित शिकायतों ने उन पर सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर कर दिया। इसके पहले भी, जोधपुर दौरे में उन्होंने अधिकारियों की उदासीनता पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। ऐसे में, पानी संकट और जनता की समस्याओं के प्रति उनके सख्त रुख के राजनीतिक प्रभावों पर विशेषज्ञों की नजर बनी हुई है।
राजे के इन बयानों ने आम जनता के बीच संदेश पहुंचाया है कि यदि व्यवस्था में सुधार नहीं होता है तो वह इसे सहन नहीं करेंगी। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या संबंधित अधिकारी अब अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करेंगे या फिर इस स्थिति को गंभीरता से नहीं लेंगे। जल संकट जैसी जटिल समस्या से निपटने के लिए सही समय पर निर्णय और तेज़ी से कदम उठाने की आवश्यकता है, वरना यह मुद्दा आने वाले चुनावों में एक महत्वपूर्ण विषय बन सकता है।