धीरज हरनामसिंह रावत का यह प्रयास सिर्फ गलियों का नामकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य युवाओं और आने वाली पीढ़ियों में महापुरुषों के आदर्शों और उनके बलिदान को जीवित रखना है। गांव की हर गली के कोने पर लगे बोर्ड न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि बाहरी व्यक्तियों को भी स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और महान विचारकों के योगदान की याद दिलाते हैं। धीरज ने गांव में देशभक्ति की अलख जगाने के लिए जन सहयोग को आधार बनाया और अपने अथक परिश्रम से इस सपने को साकार किया। ग्रामीणों का उत्साह और सहयोग इस पहल की सफलता का मुख्य आधार रहा। इस कार्य ने रामनगर गधाई को एक प्रेरणादायी मिसाल के रूप में स्थापित किया है।