इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला ग्राहकों को बिना सुरक्षा के जिम प्रशिक्षण देने पर चिंता जताई

प्रयागराज, 01 सितम्बर । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में पुरुष जिम प्रशिक्षकों द्वारा महिला ग्राहकों को उनकी सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना प्रशिक्षण देने पर ‘गंभीर’ चिंता जताई है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की पीठ ने एक जिम ट्रेनर नितिन सैनी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

अपीलार्थी पर एक महिला ग्राहक के खिलाफ जाति-आधारित गाली का इस्तेमाल करने, उसे धक्का देने और गंदी गालियां देने का आरोप लगाया गया है। संक्षेप में कहा जाए तो, आरोपित-अपीलकर्ता पर एक महिला मुवक्किल के विरुद्ध उपरोक्त अपमानजनक कृत्यों के लिए एससी-एसटी अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ आईपीसी के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। मामला थाना ब्रह्मपुरी, जिला मेरठ का है।

सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में महिला ने यह भी दावा किया कि अपीलकर्ता ने उसके दोस्त का अश्लील वीडियो तैयार किया था और उक्त दोस्त को ऐसी अश्लील सामग्री भेज रहा था। अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि कथित कृत्य आईपीसी की धारा 354 और 504 के तहत दंडनीय अपराध भी हो सकते हैं।

इस पृष्ठभूमि में कोर्ट ने कहा “यह गंभीर चिंता का विषय है कि वर्तमान में पुरुष जिम प्रशिक्षक महिला ग्राहकों को उनकी सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना प्रशिक्षण दे रहे हैं। “

कोर्ट ने इसके अलावा उक्त परिस्थितियों पर विचार करते हुए, सम्बंधित जांच अधिकारी को एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा हलफनामा में यह दर्शाया जाय कि क्या अपीलकर्ता द्वारा संचालित जिम कानून के तहत विधिवत पंजीकृत था। क्या अपीलकर्ता को वर्तमान मामले के सम्बंध में गिरफ्तार किया गया है या नहीं ? जिम में प्रशिक्षक महिलाएं हैं या नहीं ? हाईकोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 8 सितम्बर को करेगी।