आदिवासी-मूलवासियाें के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है सरकार : गीता कोड़ा

उन्होंने आरोप लगाया कि सारंडा और सासंगदाबुरु को रिज़र्व फ़ॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ़ सैंक्चुअरी बनाने की आड़ में सरकार यहां के मूल निवासियों, आदिवासियों और वन ग्रामों में वर्षों से रह रहे परिवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।

गीता कोड़ा ने सवाल उठाया, “जब इस क्षेत्र में माइंस बंद हो जाएंगे तो यहां के लोगों की रोज़ी-रोटी का क्या होगा। उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य व्यवस्था और जीवन-यापन पर इसका सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि दूसरी बार सत्ता में आई गठबंधन सरकार का इस गंभीर मुद्दे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है, जिससे आदिवासियों को उजाड़ने की स्थिति पैदा हो गई है।

कोड़ा ने राज्य सरकार की संवेदनशीलता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार इतने संवेदनशील मुद्दे को कोर्ट में मज़बूती से पक्ष रखने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि अब जब कोर्ट का आदेश आ गया है, ऐसे में यहां पीढ़ियों से रह रहे लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो चुका है।

पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि कोर्ट में बेहतर ढंग से पक्ष न रखने के बाद अब अपना चेहरा बचाने के लिए झारखंड सरकार को अचानक स्थानीय लोगों की स्थिति का अध्ययन करने की याद आई है। उन्होंने कहा कि तभी हड़बड़ी में मंत्रिमंडल की समिति गठित कर सारंडा भेजने की घोषणा कर दी गई।

उन्होंने सवाल किया, “इतने कम समय में क्या मंत्रियों की यह समिति कोई ठोस निर्णय लेने में सक्षम होगी या सिर्फ़ खानापूर्ति करके लौट आएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि “जल, जंगल और ज़मीन” की बात करने वाली सरकार आदिवासियों और स्थानीय लोगों के अधिकार के प्रति बिल्कुल भी सजग नहीं है।

यह प्रेस विज्ञप्ति जिला भाजपा मीडिया प्रभारी पश्चिमी सिंहभूम, जितेंद्र नाथ ओझा ने सोमवार को जारी की है।