दिल्ली सचिवालय में आयोजित इस कार्यक्रम में इस अवसर पर “टीबी हारेगा, देश जीतेगा” के संकल्प के साथ टीबी जागरूकता पुस्तिकाओं का विमोचन और पोषण युक्त खाद्य किट का भी वितरण किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ऑनलाइन अंगदान पोर्टल का शुभारंभ करते हुए वर्ष 2011 से अपनी व्यक्तिगत अंग एवं देहदान की प्रतिबद्धता को याद करते हुए अंगदान को जीवन बचाने का एक पवित्र कार्य बताया। मुख्यमंत्री ने दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस दृष्टि को साकार करने के लिए दिल से बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 150 नई डायलिसिस मशीनें पीपीपी मॉडल पर लगाई गई हैं, जिससे डायलिसिस मशीनों की क्षमता बढ़कर 300 हो गई है।
आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 11 नई कैट्स एंबुलेंस को जोड़ने के बाद दिल्ली में कुल 277 कैट्स एंबुलेंस जनता की सेवा के लिए उपलब्ध हैं। अक्टूबर महीने तक 53 और नई बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा से जुड़ जाएंगी, जिससे एंबुलेंस के बेड़े की संख्या हमारी सरकार के दीर्घकालिक लक्ष्य 1000 के बेहद करीब तक पहुंच जाएगी। हमने ये लक्ष्य तय किया है कि दिल्ली में एंबुलेंस पिज्जा से भी पहले जरूरत पड़ने पर लोगों के घरों तक पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आज लॉन्च किए गए नए उपकरणों से 25 चेस्ट क्लीनिक के साथ 190 केंद्रों और 334 उपचार केंद्रों में सेवाएं और ज्यादा मजबूत होंगी, जबकि अब तक दिल्ली में लगभग 56,000 लोगों को टीबी जांच और इलाज से जोड़ा जा चुक है। उन्होंने दिल्ली के चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) की शुरुआत की गई है, जो शिशुओं में विकास से संबंधी जांच और प्रारंभिक उपचार पर केंद्रित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को अब ऐसा रोल मॉडल बनाया जाएगा, जहां हर नागरिक, चाहे वह अमीर हो या फिर गरीब हो, सभी को आधुनिक तकनीक, सस्ती दवाइयां, मुफ्त जांच की सुविधा के साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा कहते हैं कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। हमारी सरकार इन पहलों के जरिए यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं दिल्ली के प्रत्येक नागरिक और राजधानी के हर घर तक पहुंचे।
इस अवसर पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि केवल 167 दिनों में दिल्ली में 168 आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाए गए हैं, जो सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का रोल मॉडल बन गए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के इतिहास में पहली बार 1300 नर्सों और मेडिकल सुपरिटेंडेंट्स की स्थायी नियुक्ति की गई है। सरकारी अस्पतालों के लिए दवाइयों की खरीद अब सीधे केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) के माध्यम से बेहद पारदर्शी तरीके से की जा रही है, जिससे भ्रष्टाचार के साथ ही खरीद में होने वाली देरी पर पूरी तरह से रोक लग गई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सिर्फ 167 दिनों के कार्यकाल में हमारी सरकार ने 168 आरोग्य मंदिर बनाए हैं यानी हर दिन लगभग एक आरोग्य मंदिर का निर्माण हुआ। सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस मशीनों की क्षमता को 300 मशीनों तक बढ़ाकर दोगुना करने का काम किया है। सभी अस्पतालों में बेड बढ़ाए गए और दवाओं की पारदर्शी खरीद सुनिश्चित की गई।