राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के माध्यम से सिविल अस्पताल सरकाघाट को सौंपी गयी यह ई-स्कूटी एक मानवीय आउटरीच मॉडल का हिस्सा है, जिसे पहली बार राज्य स्तर पर लागू किया गया है। इस मॉडल की विशेषता यह है कि यह सतत्, पर्यावरण-अनुकूल और समयबद्ध सेवा वितरण सुनिश्चित करता है। व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय से प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ा रहे मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की इस पहल को राज्य में स्वास्थ्य सेवा सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। उनका स्पष्ट संदेश है, कोई भी नागरिक आवश्यक उपचार से वंचित न रहे।” इस दिशा में ई-स्कूटी जैसे आधुनिक साधनों का उपयोग कर स्वास्थ्य विभाग ने एक नई मिसाल पेश की है। इस पहल के तहत प्रशिक्षित परामर्शदाता ई-स्कूटी के माध्यम से रोगियों के घर तक पहुंचकर उन्हें आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं। खासकर गंभीर या असमर्थ मरीजों के लिए यह एक जीवनदायिनी सेवा बन सकती है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो भविष्य में इसे प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जा सकता है। मंडी के सरकाघाट में शुरू हुई यह सेवा न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि तकनीक और मानवीय संवेदनशीलता के संगम से किस प्रकार समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
नागरिक अस्पताल सरकाघाट में आईसीटीसी केंद्र में तैनात परामर्शदाता सोनू कुमार पिछले 18 सालों से यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे एचआईवी, एसआईटी, टीबी जैसे रोगों से ग्रस्त रोगियों की काउंसलिंग करते हैं। ई-स्कूटी मिलने के बाद अब ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है और समय का सदुपयोग भी हो रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 12 अगस्त, 2025 से 12 अक्टूबर, 2025 तक प्रदेश के विभिन्न गांवों, निजी व सरकारी स्कूलों के साथ ही रेड रिबन क्लब के माध्यम से स्कूल, कॉलेज में इन रोगों की रोकथाम के प्रति विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसमें फ्लैस मॉब, पेंटिंग, नारा लेखन और स्वास्थ्य जागरूकता रैली के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। गांव के लोगों को इकठ्ठा कर उनकी काउंसलिंग भी कर रहे हैं।
उन्होंने आग्रह किया कि विशेष रूप से युवाओं को अपनी स्वास्थ्य से संबंधित जांच स्वैच्छिक तौर पर अवश्य करवानी चाहिए।