सीओ सिटी के इस जवाब पर साक्षी मिश्रा भड़क उठीं। उन्होंने तर्क दिया कि “यदि अभी तक जांच पूरी नहीं हुई, तो आखिरकार नगर पालिका परिषद के दो कर्मचारियों और दो जूनियर इंजीनियर को किस आधार पर निलम्बित किया गया? जब निलम्बन हो सकता है, तो एफआईआर क्यों नहीं?”
साक्षी ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि यह जिला प्रशासन की दोहरी नीति है। एक तरफ प्रशासन सिर्फ दिखावे के लिए कुछ कर्मचारियों को सस्पेंड कर देता है, वहीं दूसरी तरफ दोषी अधिकारियों और जिम्मेदार विभागों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने से बच रहा है। साक्षी मिश्रा ने कहा कि उनकी बहन प्राची जीवन से भरपूर, सकारात्मक और भविष्य के सपनों से भरी हुई युवती थी। लेकिन नगर पालिका की खुली नालियां, पीडब्ल्यूडी की टूटी-फूटी सड़कें और बिजली विभाग के लटकते तारों ने उसकी जिंदगी छीन ली।
उन्होंने आरोप लगाया कि “यह किसी सामान्य हादसे की मौत नहीं है, बल्कि विभागीय अधिकारियों की गंभीर लापरवाही और पदेन कर्तव्यों की उपेक्षा है। इन्हें पूरी जानकारी थी कि इस तरह की स्थितियां किसी भी क्षण मौत का कारण बन सकती हैं, फिर भी सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए।”साक्षी ने जिला प्रशासन को सीधे कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को बचाने के लिए केवल निलम्बन की औपचारिकता पूरी की जा रही है।
उन्होंने सवाल उठाया – “जब तक किसी विभागीय अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होगी और गिरफ्तारी नहीं होगी, तब तक यह न्याय अधूरा रहेगा। तीन निर्दोष लोगों की मौत के बाद भी यदि सिर्फ फाइलों में कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी, तो यह शासन की संवेदनहीनता और लापरवाही को उजागर करता है।” साक्षी मिश्रा ने कहा कि यदि उनकी बहन प्राची की मौत के दोषियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।