इस आध्यात्मिक अद्भुतता को और अधिक शाही स्पर्श देता है “थेवा कला की शाही विरासत को आधुनिक पहचान देता यह अनूठा हार सेट”। इसे तैयार किया है राघव राज सोनी ने, जो 400 साल पुरानी थेवा परंपरा की छठी पीढ़ी के प्रतिनिधि और पद्मश्री स्व. महेश राज सोनी के पुत्र हैं। 23 कैरेट सोने की नक्काशी को रंगीन कांच पर जड़ने की प्राचीन तकनीक में राघव ने आधुनिक डिज़ाइन और एमरल्ड बीड्स का सुंदर संगम किया है। उनकी इस नवाचारी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली और वर्ष 2023 में कज़ाखस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प प्रतियोगिता में उन्हें इंटरनेशनल हैंडीक्राफ्ट्स विनर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
कला का तीसरा अनमोल पक्ष प्रस्तुत करता है एक दुर्लभ दिल्ली कंपनी कालीन लघुचित्र। लघु चित्रकला की प्रमुख शैलियों—किशनगढ़, मुगल और कांगड़ा—की परंपरा में यह दिल्ली स्कूल अपनी विशिष्ट वास्तविकता और सूक्ष्म विवरण के लिए जाना जाता है। प्राकृतिक रंगों और अर्द्ध कीमती पत्थरों के प्रयोग से बनी यह पेंटिंग यूरोपीय तकनीक से प्रभावित होते हुए भी भारतीय आत्मा को पूर्ण रूप से संजोए रखती है।
रूबी पर उकेरा गया गणेश दरबार, थेवा कला का शाही हार और दिल्ली कंपनी काल का लघुचित्र—ये तीनों ही भारतीय परंपरा, नवाचार और अद्वितीय शिल्प कौशल का जीवंत प्रमाण हैं। ये कृतियाँ केवल कला नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिकता, धैर्य और रचनात्मकता का वह संदेश हैं जो पीढ़ियों तक प्रेरणा देते रहेंगे। यह प्रदर्शनी केवल कला प्रेमियों और संग्राहकों के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी के लिए आमंत्रण है जो भारतीय विरासत की गहराई, तकनीकी निपुणता और आधुनिक दृष्टि को एक साथ देखना चाहते हैं। आज शिल्पगुरू राम स्वरूप शर्मा, और मोहन सोनी राम रामदेव अवलोकन किया।