भारतीय शास्त्रों, पुराणों एवं धर्म ग्रंथों का धार्मिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक प्रभाव सनातन काल से ही दुनिया भर के देशों में रहा है, लिहाजा आज भी तमाम देशों में इनका समय-समय पर किसी न किसी रूप में प्रदर्शन एवं मंचन होता ही रहता है। इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स के सिडनी स्थित विहिप संस्कृत विद्यालय के छात्रों चयन किया गया। विद्यालय की प्रत्येक शाखा के विद्यार्थियों को वाल्मीकि रामायण के एक-एक कांड प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी। वाल्मीकि रामायण के इस ऐतिहासिक मंचन में पंद्रह वर्ष से कम आयु के 200 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।
सिडनी के रीजेंसी फंक्शन सेंटर में विद्यालय के वार्षिकोत्सव समारोह के दौरान बच्चों ने वाल्मीकि रामायण का मंचन करके वहां उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी शाखाओं के छात्रों ने इस प्राचीन महाकाव्य के सभी छह कांडों का मंचन संस्कृत भाषा में किया। संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों ने वालमीकि रामायण के जिन छह कांडों का मंचन किया, उनमें बाल कांड – भगवान राम की दिव्य उत्पत्ति और बचपन की कथा, अयोध्या काण्ड – वनवास और पुत्र-कर्तव्य की मार्मिक कथा, अरण्य काण्ड – वन जीवन के कष्ट और सीता का हरण, किष्किन्धा काण्ड – सुग्रीव से मित्रता और हनुमान का पराक्रम, सुन्दर काण्ड – हनुमान की लंका की वीर यात्रा, लंका काण्ड – चरमोत्कर्ष युद्ध और अधर्म पर धर्म की शाश्वत विजय शामिल रहे।
इस अवसर पर स्कूल के अनुभवी समन्वयकों की देखरेख में छात्रों ने प्रामाणिक पारंपरिक वेशभूषा और साज-सज्जा के साथ भाषाई सटीकता के साथ प्रदर्शन किया, जिससे महाकाव्य की सांस्कृतिक भव्यता झलकती है। ऑस्ट्रेलिया सरकार के न्यू साउथ वेल्स शिक्षा विभाग ने संस्कृत सीखने और सांस्कृतिक भागीदारी में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सात छात्रों को सम्मानित किया। विहिप संस्कृत विद्यालय के सात छात्रों को प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें गंभीर शास्त्री को मंत्री पुरस्कार, प्रहर्ष राव को अत्यधिक प्रशंसित पुरस्कार, लक्ष्य प्रदीप को अत्यधिक प्रशंसित पुरस्कार, मनसा चिराग भटनागर को प्रशंसित पुरस्कार, प्रणति बसवनहल्ली प्रशांत को योग्यता पुरस्कार, देविका मिदिगेसी को योग्यता पुरस्कार तथा रचित राज को योग्यता पुरस्कार दिया गया।
विहिप संस्कृत विद्यालय के समन्वयक और विहिप ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय महासचिव अकिला रामरथिनम ने कहा कि यह देखकर बहुत खुशी होती है कि हमारी युवा पीढ़ी हमारी सनातन संस्कृति तथा पुरातन भाषा की महान विरासत को ऑस्ट्रेलिया में भी संरक्षित और प्रसासिरत कर ही है। यह उपलब्धि सांस्कृतिक निरंतरता और भक्ति का एक ज्वलंत उदाहरण है।