विश्व हिंदू परिषद ने ज्ञापन में कहा है कि बस्तर दशहरे पर्व पर किसी भी प्रकार की लापरवाही अथवा आस्था को ठेस पहुंचाने वाला कार्य स्वीकार्य नहीं होगा। विश्व हिंदू परिषद ने का कह ऐसे व्यक्ति के हाथों में मिष्ठन्न निर्माण एवं व्यवस्था प की जिम्मेदारी होने से प्रसाद की पवित्रता और शुद्धता पर सवाल खड़े किए गये हैं। विहिप नेताओं ने इस मुद्दे को बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष एवं बस्तर सांसद महेश कश्यप के समक्ष भी रखा है। इस पर श्री कश्यप ने विहिप के लोगों को भरोसा दिलाया कि वे इसे बस्तर दशहरा समिति में उठाएंगे। अतः हम जिला प्रशासन से आग्रह करते हैं कि उक्त निविदा को निरस्त कर इसे ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाए जो परंपरा, आस्था और श्रद्धा का पूर्ण सम्मान करता हो। विहिप ने आगे कहा कि बस्तर दशहरा केवल उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारी अस्मिता, श्रद्धा और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक भी है। इसकी पवित्रता और गरिमा बनाए रखना प्रशासन और समाज, दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन आदिवासियों तथा सर्व हिंदू समुदाय की आस्था से जुड़ा बड़ा पर्व है। बस्तर दशहरा का आयोजन विगत 600 वर्षों से होता आ रहा है। यह बस्तर के लोगों की आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इस पर्व पर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना, अनुष्ठान और भोग अर्पण अत्यंत श्रद्धा और निष्ठा से संपन्न होते आए हैं। इस वर्ष प्रसाद मिष्ठान्न की निविदा एक ऐसे व्यक्ति को प्राप्त हुई है, जिसके प्रति आदिवासी समुदाय और सर्व सनातनी समाज के बड़े वर्ग में यह भावना है कि वह हमारे देवी-देवताओं और धार्मिक परंपराओं के प्रति आस्था और सम्मान नहीं रखता। विगत कुछ वर्षों के अनुभवों ने भी इस जनभावना को और प्रबल किया है। इसी वजह से उस व्यक्ति को प्रसाद मिष्ठन्न निर्माण एवं व्यवस्था का ठेका दिए जाने का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है।
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