सुनवाई के दौरान अदालत की जानकारी में आया कि पूर्व में नियुक्त न्यायमित्र अलंकृता शर्मा, शोभित तिवाडी और संदीप सिंह शेखावत को अदालत में रिपोर्ट पेश करनी है कि अदालती आदेश की पालना में राज्य सरकार की ओर से क्या कार्रवाई की गई, लेकिन तीनों की न्यायमित्रों को अभी तक प्रकरण से जुडे कागजात नहीं मिले हैं। इस पर अदालत ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को कहा कि वे तीनों न्यायमित्रों को संबंधित दस्तावेजों की पेपर बुक डिजिटल फॉर्मेट में मुहैया कराए। वहीं अदालत ने मामले की सुनवाई तीन दिसंबर को तय की है। न्यायमित्र अधिवक्ता अलंकृता शर्मा ने बताया कि अदालत ने 18 साल से विचाराधीन इस प्रकरण से जुड़ी जमीनी हकीकत जानने के लिए गत सात अक्टूबर को तीन न्यायमित्र नियुक्त किए थे। उन्हें अदालती आदेश पर रिपोर्ट पेश करनी है कि अब तक मामले में राज्य सरकार की ओर से क्या कार्रवाई हुई, लेकिन पेपर बुक नहीं मिलने के अभाव में रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। गौरतलब है कि पीएन मैंदोला ने साल 2007 में जनहित याचिका दायर कर अमानीशाह नाला, जिसे अब द्रव्यवती नदी कहा जाता है, में अतिक्रमण को हटाने की गुहार कर रखी है। मामले के लंबित रहने के दौरान इसकी चौड़ाई तय करते हुए इसे पक्का किया गया है।