अलर्ट : डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर ठगी से सावधान रहें

साइबर अपराधी कैसे बनाते हैं शिकार

पुलिस उपमहानिरीक्षक साइबर क्राइम विकास शर्मा ने बताया कि साइबर अपराधी खुद को सीबीआई, पुलिस, कस्टम, ईडी, इनकम टैक्स अधिकारी या न्यायिक अधिकारी बताकर मोबाइल पर कॉल करते हैं और लोगों को डराते हैं। वे अक्सर ये झूठी धमकियाँ देते हैं कि आपके बच्चों या परिवार द्वारा कोई अपराध किया गया है और उनकी गिरफ्तारी होगी। आपके बैंक खाते में देश विरोधी गतिविधियों या मनी लॉन्ड्रिंग का पैसा जमा है। आपके आधार कार्ड से जारी सिम नंबर अपराध में शामिल है। इस तरह की धमकियों से पीड़ित पूरी तरह से डरा देते हैं और उसे डिजिटल अरेस्ट कर लेते है, यानी वीडियो कॉल पर ही रोके रखते हैं।

डीआईजी शर्मा ने बताया कि डराने-धमकाने के कुछ समय पश्चात फर्जी बड़े अधिकारी का वीडियो कॉल आता है। वह अधिकारी पीड़ित को धमकाता है कि खाते में अत्यधिक धनराशि होने के कारण उन्हें इनकम टैक्स देना होगा। वे कहते हैं कि वेरिफिकेशन के दौरान यह सारी रकम एक सरकारी बैंक खाते में डालनी होगी, जो वास्तव में साइबर ठगों का ही खाता होता है। अपराधी पीड़ित को तब तक वीडियो कॉल पर रहने को मजबूर करते हैं, जब तक जांच पूरी न हो जाए और सख्त हिदायत देते हैं कि इसकी सूचना बाहर किसी अन्य को या पुलिस को न दी जाए।

डिजिटल अरेस्ट से बचाव के लिए आवश्यक कदम

पुलिस या सरकारी अधिकारी अपराध होने पर कभी वीडियो कॉल नहीं करते।

वीडियो कॉलिंग पर पैसे मांगने पर बिल्कुल भी पैसे न दें। कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर पैसे की मांग नहीं करती।