हुंकार महारैली में ईसाइ‍यों ने सरना समाज के लोगों से की बदसलूकी : निशा

उन्‍होंने कहा कि महारैली के दौरान ईसाइयों ने जानबूझकर सरना धर्म के लोगों को धक्का देकर मंच से उतार दिया। मंच पर ईसाई समर्थकों को डर था, हमारे जैसे सरना धर्म के समर्थक उनकी गंदी राजनीतिक में रोड़ा न बन जाए। इसलिए ऐसी हरकत की गई। निशा ने कहा कि सरना समाज के लोग, आदिकाल से रूढ़िवादी परंपरा और संस्कृति सभ्यताओं को माननेवाले आदिवासी रहे हैं। लेकिन आदिवासी से धर्मांतरित होकर ईसाई बननेवाले, ईसाई समर्थक नेताओं ने ही मंच पर सरना समाज के लोगों को धक्का मारकर मंच से भगा दिया। आनेवाले समय में ऐसे ईसाई नेताओं को चिन्हत कर सरना समाज के लोग सबक सिखाने का काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरना समिति के पदाधिकारियों के साथ हुए दुर्व्यवहार की जितनी निंदा की जाय वह कम है।

वहीं इस अवसर पर समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा आदिवासी हुंकार महारैली राजनीति का शिकार हो गया। एक तीर एक कमान थाैर आदिवासी समाज एक समान का दंभ भरनेवाले नेताओं ने ही केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की और केन्द्रीय महिला अध्यक्ष निशा भगत को धक्का देते हुए मंच से नीचे उतारा। केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय प्रवक्ता एंजेल लकड़ा ने कहा कि 17 अक्टूबर की घटना से सरना समाज के लोगों में काफी आक्रोश है। केंद्रीय सरना समाज के लोगों का अपमान सरना समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।

मौके पर केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की, रांची जिला के अध्यक्ष अमर तिर्की, संरक्षक भुनेश्वर लोहरा, केंद्रीय प्रवक्ता एंजेल लकड़ा, सदस्य सोहन कच्छप, विमल कच्छप, विनोद उरांव, प्रमोद एक्का,रतन उरांव, अमित टोप्पो, राकेश लिंडा सहित अन्य लोग मौजूद थे।