मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए समिति की ओर से विशेष व्यवस्था की गई थी। पूजा-अर्चना के दौरान ‘जय शनिदेव’ के जयकारे से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। माना जाता है कि शनिदेव को तेल-तिल अर्पण करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में शांति तथा समृद्धि का संचार होता है। मंदिर
के पुजारी ने बताया कि शनिदेव की पूजा विशेष रूप से शनिवार को करने का धार्मिक महत्व है। इस अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न गांवों से माताएं पहुंचीं और अपने पुत्रों की मंगलकामना के लिए भगवान शनिदेव से आशीर्वाद मांगा। मंदिर प्रांगण में पूरे दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रही।