स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दरबार में दर्शन पूजन के लिए कतारबद्ध हाेने लगे श्रद्धालु, एक दिन पहले ही लाइन में बैठे

वाराणसी, 17 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालु शुक्रवार दाेपहर से ही कतारबद्ध होने लगे हैं। आस्था की पराकाष्ठा देख मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था और सुगम दर्शन को लेकर पुरी तैयारी की गई है। मंदिर में धनतेरस पर्व पर भोर में मां की मंगलाआरती के बाद ही दर्शन पूजन शुरू हो जायेगा। मंदिर प्रबंधन के अनुसार स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद के रूप में सिक्का और लावा रूपी खजाने का वितरण 5 दिन तक प्रतिदिन सुबह 4 बजे से लेकर रात 11 बजे तक होगा। इसमें वृद्ध और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन व्यवस्था की गई है।

मंहत शंकर पुरी ने बताया कि धनतेरस के दिन शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में तीन बजे से मां पूजन-अर्चन आरंभ होगा। मातारानी का सविधि षोडशोपचार पूजन किया जाएगा। इसके पश्चात पांच बजे मां के दरबार का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। भक्तजन पांच दिनों तक माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी विग्रह के साथ ही, मां भूमि देवी, मां लक्ष्मी और रजत विग्रह में भगवान महादेव के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर में आगमन व प्रस्थान के लिए अलग-अलग मार्गों की व्यवस्था की गई है। माता के दरबार में आने वाले भक्तों को बांसफाटक कोतवालपुरा के प्रवेश द्वार से ढूंढीराज गणेश होते हुए मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। अस्थायी सीढ़ियों से भक्त मंदिर के प्रथम तल पर स्थित स्वर्णमयी माता के परिसर में पहुंचेंगे। वीआईपी समय शाम पांच से सात बजे तक रहेगा।

उल्लेखनीय है कि स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के विग्रह के दर्शन के लिए वर्ष में चार-पांच के लिए ही दरबार खुलता है। धनतेरस से भाई दूज तक ही खुलता है। मंदिर में दर्शन के बाद श्रद्धालुओं को मां अन्नपूर्णेश्वरी के ‘खजाने’ के रूप में चावल, धान का लावा और अठन्नी (सिक्का) दिया जाता है। काशी में मान्यता है कि इस अठन्नी को जो भक्त अपने धन स्थान या लॉकर में रखता है, उसके घर में पूरे वर्ष धन-धान्य की कमी नहीं होती।

स्वर्णमयी प्रतिमा की अद्भुत छटा

मंदिर में मां अन्नपूर्णा की ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान है। मां के दाईं ओर देवी लक्ष्मी और बाईं ओर भूदेवी का स्वर्ण विग्रह स्थापित है। विशेष बात यह है कि बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा मां की झोली के सामने अन्न मांगने की मुद्रा में स्थित है, जो इस अद्वितीय दृष्य को और भी दिव्य बना देती है।

एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक समय काशी में भयंकर अकाल पड़ा। तब भगवान शंकर ने स्वयं मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी और वचन लिया कि काशी में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहेगा। तभी से यह परंपरा है कि काशी आने वाले हर व्यक्ति को मां अन्नपूर्णा की कृपा से अन्न की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पर बन रहे शुभ संयोग

कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे शुरू होकर 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार पर्व 18 को मनाया जाएगा।