जगदलपुर : वन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए वन विज्ञान केंद्र की हाेगी स्थापना : केदार कश्यप

100 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले आसना पार्क में स्थापित यह केंद्र वन आधारित आजीविका को बढ़ावा देने का एक मॉडल बनेगा। केंद्र में स्थानीय आदिवासियों और वन कर्मियों को कृषि-वानिकी, औषधीय पौधों की खेती, वनोपज के मूल्य संवर्धन, मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसी नवीन तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ​यहां सागौन और हल्दी जैसी फसलों के साथ मिश्रित खेती के मॉडल किसानों को आय और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करेंगे।​ इसके साथ ही यहां सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी जैसे पौधों की खेती, जिसमें भंडारण और प्रसंस्करण की तकनीकों पर विशेष जोर रहेगा। इस केंद्र में इमली, गोंद, और महुआ जैसे वनोपज के प्रसंस्करण से लोगों की आय में वृद्धि होगी। यहां मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसे मॉडल ग्रामीणों को नए रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे। वन विज्ञान केंद्र को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा, जिसमें व्याख्यान कक्ष, प्रदर्शन हॉल, और प्रशिक्षुओं के लिए आवासीय सुविधाएं रहेंगी। साथ ही मृदा परीक्षण, पानी की गुणवत्ता विश्लेषण, और औषधीय पौधों की गुणवत्ता जांच के लिए आधुनिक प्रयोगशाला भी स्थापित की जाएगी। दुर्लभ और संकटग्रस्त वन प्रजातियों के संरक्षण के लिए जर्मप्लाज्म संरक्षण इकाई भी बनेगी।

आसना पार्क को इस केंद्र के लिए चुने जाने के पीछे कई कारण हैं। यहां पहले से ही वन धन केंद्र के रूप में औषधीय प्रसंस्करण का कार्य सफलतापूर्वक चल रहा है। आस-पास के गांवों में काजू प्रसंस्करण, इमली, और साल बीज संग्रहण जैसे कार्य बड़े पैमाने पर होते हैं, जो प्रशिक्षुओं को ‘ऑन-द-जॉब’ अनुभव प्रदान करेंगे। पार्क की भौगोलिक स्थिति और वन आच्छादन इसे आदर्श बनाते हैं। यह केंद्र केवल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं रहेगा। भविष्य में इसे उच्च स्तरीय शोध केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ वन्य उत्पादों के उत्पादन और प्रसंस्करण पर वैज्ञानिक अनुसंधान होगा। यह स्थानीय उत्पादों को बेहतर गुणवत्ता के साथ बाजार तक पहुंचाने में मदद करेगा, जिससे ग्रामीणों को अधिकतम लाभ मिलेगा।

​बस्तर वन मंडल के वन मंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता ने कहा कि, वनांचल विज्ञान केंद्र आसना बस्तर के आदिवासी समुदायों के लिए एक नई सुबह लेकर आएगा । यह केंद्र पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़कर स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाएगा। उनकी आजीविका को मजबूत करेगा और वन संरक्षण के साथ आर्थिक विकास में संतुलन स्थापित करेगा। ​यह केंद्र बस्तर की वन संपदा और स्थानीय ज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़कर एक नया इतिहास रचेगा। आने वाला समय बस्तर के लिए आत्मनिर्भरता और समृद्धि का होगा और वनांचल विज्ञान केंद्र इसकी नींव बनेगा।