प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि पिछलें कुछ समय से देश में अनुसूचित जाति समाज के लोगों के ऊपर आपराधिक घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो रही है। जिससे दलित, शोषित, वंचित समाज में भय और डर का माहौल व्याप्त है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हरिओम वाल्मिकी नामक एक अनुसूचित जाति के युवक की पीट-पीट कर नंगा करके हत्या कर दी गयी।
यही नहीं सबसे बड़ी घटना सुप्रीम कोर्ट में घटित हुई जहां सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंककर मारने का प्रयास किया गया। यह न केवल न्यायालय की अवमाना है, बल्कि भारतीय न्याय पालिका की गरिमा एवं संवैधानिक कुर्सी पर बैठे व्यक्ति पर सीधा हमला है।
इस घटना को अन्जाम देने वाले अपराधी वकील का लाईसेंस रद्द करके देशद्रोह का मुकदमा कायम कर कठोर से कठोर कार्यवाही की जाये, जिससे भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। ये घटनाऐं देश में अनुसूचित जाति वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग एवं शोषित वंचित समाज पर हो रहे अत्याचार और उनके प्रति नफरत और घृणा को प्रदर्शित करती है।
ज्ञापन में कहा कि जब इस देश में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के पद पर आसीन अनुसूचित जाति , अल्पसंख्यक वन्य शोषित वंचित समाज का व्यक्ति सुरक्षित नही तो सम्पूर्ण समाज की स्थिति और भय के वातावरण को महसूस किया जा सकता है।
प्रदर्शन करने और ज्ञापन देने वालों में मुरली मनोहर, मनोज सैनी, पार्षद सुनील कुमार, बालेश्वर सिंह, अमित चंचल, कैलाश प्रधान, सत्यपाल शास्त्री, सीपी सिंह, वीरेंद्र श्रमिक, प्रियव्रत, प्रवीण कुमार, विकास चंद्रा, अक्षय नागपाल, दिनेश पुंडीर, सोनू जाटव, पूरण सिंह, बिजेंद्र सिंह, अजीत सिंह, महेश चंद, पवन कुमार एडवोकेट, अमित नौटियाल, राजेंद्र सिंह, दीवान चंद, नितिन आर्य, कृष्णबलदेव पाल, अजीत सिंह आदि उपस्थित थे।