याचिका में अधिवक्ता सीपी शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार के आयुर्वेद विभाग ने कंपाउंडर पद पर भर्ती के लिए साल 2024 में भर्ती विज्ञापन जारी किया था। भर्ती में एक पांव से दिव्यांग अभ्यर्थी के लिए पद आरक्षित रखे गए थे। याचिकाकर्ता एक पांव से दिव्यांग है। इस पर याचिकाकर्ता को इस वर्ग में नियुक्ति के लिए चयनित किया गया। वहीं बाद में उसे यह कहते हुए नियुक्ति से वंचित कर दिया कि वह दोनों पांव से दिव्यांग है। जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता के पास मान्यता प्राप्त चिकित्सक का मेडिकल प्रमाण पत्र है। जिसमें याचिकाकर्ता को एक पांव से दिव्यांग बताया गया है। इसके बावजूद भी विभाग ने उसे दोनों पांव से दिव्यांग बताकर नियुक्ति से वंचित कर दिया। ऐसे में उसे नियुक्ति दी जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता का जोधपुर एम्स से पुनः मेडिकल कराने को कहा है।