ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराघची ने साफ किया है कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएइए) के निरीक्षकों की देश में माैजूदगी ईरान की संसद के कानून तय करेंगे।
अराघची ने यह टिप्पणी संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति समिति के सदस्यों के साथ एक बैठक में भाग लेते समय की। बैठक में उनसे पूछा गया था कि आईएइए के निरीक्षकों को ईरान का दौरा करने की अनुमति क्यों दी गई ?
अराघची ने कहा, “कानून के तहत, परमाणु स्थलों तक पहुँच की किसी भी माँग को ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इसके बाद ही इस बाबत अनुमति देने या ना देने के बारे में फैसला लिया जाता हैै।”
उन्होंने बताया कि इस यात्रा में, निरीक्षकों को केवल बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र में ईंधन प्रतिस्थापन प्रक्रिया और तेहरान अनुसंधान परमाणु रिएक्टर का निरीक्षण करने की अनुमति दी गई थी।
ईरान द्वारा आईएइए के साथ सहयोग निलंबित करने के बाद से संयुक्त राष्ट्र संस्था ने अपने निरीक्षकों को वहां से हटा लिया था।
इस बीच, विदेश मंत्री ने बैठक में यह भी कहा कि उनके मंत्रालय के एजेंडे में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को बेअसर करना और उनसे बचना भी शामिल है।
उन्होंने दोहराया कि तेहरान 2015 के ईरान परमाणु समझौते से पीछे नहीं हटा है क्योंकि यह समझौता ईरान के यूरेनियम संवर्धन के अधिकार को मान्यता देता है और इस समझौते को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त है। उन्हाेंने कहा कि इसके कुछ प्रावधान देश हित में हैं। इस समझाैते काे संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है।