कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल थे। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कृषि में रासायनिक आदानों की निर्भरता कम करने और ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा अपनाने का आह्वान किया।
प्रो. चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल उत्पादन लागत को घटाती है, बल्कि यह किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण—तीनों के स्वास्थ्य की रक्षा करती है। उन्होंने बताया कि नौणी विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती पर कई अग्रणी शोध कार्य कर रहा है और इसके वैज्ञानिक डाटा को संकलित करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इससे इस पद्धति को और अधिक वैज्ञानिक मान्यता एवं व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी।
गोष्ठी के दौरान विशेषज्ञों ने किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों, लाभों और इससे जुड़ी संभावनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को टिकाऊ और स्वास्थ्यवर्धक खेती की ओर प्रेरित करना था।