चित्रकूट,19 अक्टूबर । जिले के कोषागार में हुए बहुचर्चित 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले में रविवार को बड़ा मोड़ आ गया है। घोटाले के मुख्य आरोपी संदीप श्रीवास्तव की प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के साथ ही अब इस प्रकरण में पुलिस और जिला प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
आपको बता दें कि चित्रकूट कोषागार में हुए 43.13 करोड के घोटाले के उजागर होेने के बाद जांच में जुटी पुलिस द्वारा प्रकरण के कथित मुख्य आरोपी संदीप श्रीवास्तव को दो दिन पहले सदर कोतवाली कर्वी पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए ले जाया गया था। बताया गया कि शनिवार शाम उसकी हालत कोतवाली में अचानक बिगड़ गई । आनन-फानन में उसे चित्रकूट जिला चिकित्सालय ले जाया गया। जहां सीएमओ डॉ भूपेश द्विवेदी, सीएमएस शैलेंद्र कुमार और अपर पुलिस अधीक्षक सत्यपाल सिंह की मौजूदगी में प्राथमिक इलाज किया गया। इसके बाद हालत गंभीर होने पर उसे प्रयागराज मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान रविवार को उसकी मौत हो गई। अब इस मामले में यह सवाल उठ रहा है कि पुलिस ने आरोपी को बिना किसी मजिस्ट्रेटी आदेश या लिखित अनुमति के 24 घंटे से अधिक समय तक कथित आरोपी संदीप श्रीवास्तव को सदर कोतवाली कर्वी में क्यों रखा। इसके साथ ही यह भी जानकारी सामने आई है कि जिला चिकित्सालय में भर्ती की प्रक्रिया पुलिस की बजाय आरोपी के भाई सचिन श्रीवास्तव के माध्यम से कराई गई थी। इससे यह शक गहराता जा रहा है कि मामले को प्रशासनिक स्तर पर दबाने की कोशिश की गई।
इस मामले में चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक अरूण कुमार सिंह का दावा है कि संदीप श्रीवास्तव को केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया था और उसे हिरासत में नहीं रखा गया था, लेकिन घटनाक्रम इस बयान से मेल नहीं खाता। यदि वह हिरासत में नहीं था, तो उसकी तबीयत कोतवाली में ही कैसे बिगड़ी और उसे अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पुलिस की क्यों रही। कोषागार में हुए घोटाले के मुख्य आरोपी की मौत के बाद उसके परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेष यादव ने इस प्रकरण पर सूबे की योगी सरकार को घेरा है। साेशल मीडिया एक्स पर सपा मुखिया अखिलेष यादव ने लिखा है कि चित्रकूट ट्रेजरी में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में मुख्य आरोपी की हिरासत में मौत, एक बेहद गंभीर मुद्दा है क्योंकि इतना बड़ा घोटाला कोई अकेले नहीं कर सकता है। इसमें कई लोगों की संलिप्तता के उजागर होने की आशंका रही होगी। इसलिए इसे सामान्य मौत न मानकर निष्पक्ष जाँच हो और सभी दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो।