फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकॉर्नू की सरकार गुरुवार को संसद में लाए गए दो अविश्वास प्रस्तावों से बच गई। इससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मध्यमार्गी सरकार को फिलहाल राहत मिली है, हालांकि देश में राजनीतिक संकट पूरी तरह से टला नहीं है।
खबराें के मुताबिक फ्रांसीसी संसद के निचले सदन, नेशनल असेंबली में विपक्षी दलों ने दो अविश्वास प्रस्ताव पेश किए, जिसमें एक वामपंथी पार्टी ‘ला फ्रांस इंसूमिस’ (एलएफआई) का था और दूसरा दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ (आरएन) द्वारा पेश किया गया। पहले प्रस्ताव के पक्ष में 271 सांसदों ने मतदान किया, जो बहुमत के लिए आवश्यक 289 मतों से 18 कम थे। दूसरे प्रस्ताव को केवल 144 मत मिले। इस प्रकार दोनों प्रस्ताव अस्वीकृत हो गए।
खबराें के अनुसार मतदान से पहले प्रधानमंत्री लेकॉर्नू ने विपक्ष को शांत करने के लिए कई रियायतें दीं। उन्होंने राष्ट्रपति मैक्रों की विवादित पेंशन सुधार योजना को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की। इसमें सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 64 वर्ष करने का प्रावधान था। इस कदम के बाद सोशलिस्ट पार्टी के कई सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया, हालांकि कुछ ने पार्टी लाइन से हटकर सरकार के खिलाफ वोट दिया।
प्रधानमंत्री लेकॉर्नू को अब 2026 के बजट को संसद से पारित कराने की कठिन परीक्षा का सामना करना होगा।
इस बीच उन्होंने यह भी कहा है कि वह संवैधानिक अनुच्छेद 49.3 का उपयोग नहीं करेंगे। इसके तहत सरकार बिना वोट के बजट पारित कर सकती है। हालांकि विशेषज्ञाें के मुताबिक यदि सरकार अगली बार असफल होती है, तो राष्ट्रपति मैक्रों को संसद भंगकर शीघ्र आम चुनाव कराने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
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