मां लक्ष्मी की पूजा अमावस्या में प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में करना सर्वाेत्तम : पंडित कैलाश मुरारी

20 अक्टूबर को दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में गणेश भगवान, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और कुबेर भगवान, बजरंग बली की पूजा अर्चना की गई। पंडित कैलाश मुरारी ने बताया कि दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में करना सर्वाेत्तम माना गया है। इसके अलावा दिवाली पर तांत्रिक और साधकों के लिए मां लक्ष्मी की पूजा महानिशीथ काल में करना ज्यादा उपयुक्त माना गया है।

धार्मिक मान्यताओं अनुसार दिवाली की रात माता लक्ष्मी बैकुंठ धाम से पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किन घरों में साफ-सफाई, अच्छी सजावट और विधि-विधान के साथ पूजा हो रही है। जिन घरों में पूजा-पाठ और साफ-सफाई होती है वहीं पर मां लक्ष्मी विराजमान हो जाती हैं।

दीपावली पर घर की साफ-सफाई और सजावट करके विधि-विधान से पूजन करने पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। दिवाली की रात मां लक्ष्मी के प्रसन्न होने पर जीवन में सुख, संपन्नता, धन-धान्य, समृद्धि और अपार धन-दौलत की कोई कमी नहीं होती। मां लक्ष्मी हर तरह की मनोकामनाओं का पूरा करती हैं।

–लक्ष्मी पूजा संपूर्ण पूजा विधि :

वैसे तो दिवाली से काफी दिनों पहले घरों की साफ-सफाई होती है, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले एक बार फिर से साफ-सफाई करें। घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए घर के हर कोनों में गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं। वहीं दरवाजे के दोनों हिस्सों में स्वास्तिक और शुभ-लाभ की आकृतियां बनाएं।

शाम के समय लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में एक चौकी रखें। फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। साथ ही जल से भरा कलश भी रखें। फिर सभी पूजन सामग्री को साथ में लेकर आसान पर बैठें और चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लेते हुए पूजा आरम्भ कर दें।

सबसे पहले गणेश स्तुति और वंदना करते हुए गणेश की पुष्य, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित हुए तिलक लगाएं। भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी तरह की पूजन सामग्री भेंट करें। फिर भगवान गणेश,माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ कुबेर देव और मां सरस्वती की पूजा करें। इसके बाद परिवार सभी लोग महालक्ष्मी की आरती, मंत्रों का जाप और स्तुति पाठ करें। आरती और मंत्रों का जाप के बाद दीपक जलाएं और घर के हर एक हिस्से में रखें। महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें। इसके अलावा दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना, धूप और भोग अर्पित करें।

भगवान गणेश का आवाहन मंत्र: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा

दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र: ह्रीं श्रीं लक्ष्मी भ्यो नमः

– श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा

– श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः

– धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः