उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शुक्रवार काे जारी बयान में बताया कि ‘संभल जनपद प्राचीन इतिहास और पौराणिक परंपराओं से समृद्ध क्षेत्र रहा है। राज्य सरकार जिला स्थित कूपों, देव स्थलों और प्राचीन मंदिरों के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिए व्यापक प्रयास कर रही है। इसी श्रृंखला में अब 141 वर्ष पुराने मनोकामना मंदिर के आसपास पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों को बेहतर सुविधाएं मिल सके। उन्होंने बताया, पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु का 10वां अवतार कल्कि रूप संभल में होगा। कल्कि धाम निर्माण से देश-दुनिया के आस्थावानों की नजर संभल पर टिकी है।’
जहां पूर्ण होती है सबकी ‘मनोकामना’
संभल जनपद के प्राचीन और आस्था से परिपूर्ण मनोकामना मंदिर को जिले के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में गिना जाता है। यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु पहुंचते हैं। यह मंदिर महान संत बाबा राम मणि की समाधि स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। स्थानीय लोग उन्हें चमत्कारी उपचार के प्रतीक संत रूप में पूजते हैं, जिन्होंने अपना जीवन जनकल्याण और मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
मंदिरों से घिरा प्राचीन कुंड
संभल के प्रसिद्ध मनोकामना मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है, जो हनुमान मंदिर, राम जानकी मंदिर और देवजी मंदिर जैसे कई अन्य छोटे मंदिरों से घिरा है। हर वर्ष यहां आयोजित होने वाला भंडारा संत बाबा राम मनी की पुण्य स्मृति को समर्पित होता है। भंडारे में जनपद और आसपास के क्षेत्र से आए भक्त भावपूर्वक सहभागिता करते हैं।
20 बीघे में बना है 141 साल पुराना मंदिर
संभल के चंदौसी से करीब चार किलोमीटर दूर ब्लॉक बनिया खेड़ा के गनेशपुर गांव में करीब 141 साल पुराना प्राचीन मनोकामना मंदिर है। नंद किशोर और गनेशी लाल ने सन 1884 में मनोकामना मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर 20 बीघा जमीन पर बना है, जिसमें राधा कृष्ण का मंदिर और शिवालय के अलावा मनोकामना कुंड है। कुंड में एक गंगा देवी मंदिर है। विशाल कुंड में चारों ओर सीढ़ियां और ऊपर बरामदा बना है। बताया जाता है कि 150 साल पहले एक जमींदार ने मंदिर के नाम 100 बीघा जमीन दान कर दी थी।
कुंड स्नान को लेकर मान्यताएं
मंदिर परिसर में बना कुंड फ़िलहाल सूखा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि जलस्तर गिरने से कुंड का पानी सूख गया। प्राचीन मान्यता रही है कि कुंड में स्नान करने से चर्म रोग दूर होते थे और मनोकामना भी पूर्ण होती थी। यहां स्नान के लिए दूर-दराज से भी लोग आते थे।
संभल में बढ़ी पर्यटक संख्या
क्षेत्रफल की दृष्टि से संभल छोटा जिला है। मगर, पर्यटन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वर्ष 2024 में जनपद में जहां 43,58,329 पर्यटक आए, वहीं 2025 के शुरुआती महीने जनवरी से मार्च तक यहां तकरीबन 13,05,970 पर्यटक पहुंचे। पर्यटन विभाग को वर्षांत तक पर्यटकों का आंकड़ा 45 से 50 लाख के बीच रहने का अनुमान है। पर्यटन दृष्टि से सम्भल प्रमुख स्थल के रूप में उभर रहा है। जिले में माता कैला देवी मंदिर, ऐतिहासिक घंटाघर, पृथ्वीराज चौहान द्वारा निर्मित तोता-मैना की कब्र सहित कई दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। कल्कि धाम के निर्माण से धार्मिक पर्यटन के इच्छुक लोगों में नया उत्साह है।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, ‘संभल जिले के ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों का संवर्धन कर राज्य सरकार न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय जनजीवन और सांस्कृतिक धरोहर को भी सशक्त बना रही है। मनोकामना मंदिर के विकास से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और संभल जिले की पर्यटन संभावनाओं को नई ऊंचाई मिलेगी।’