ठा. बांकेबिहारी तोशखाने में दूसरे दिन निकले एक सोने, तीन चांदी की छड़ियों सहित कुछ सिक्के, नग और बर्तन

मथुरा, 19 अक्टूबर। वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी मंदिर का खजाना (तोषखाना) 54 वर्ष के बाद शनिवार को धनतेरस के अवसर पर खोला गया था। दूसरे दिन भी रविवार को टीमों ने खजाने की तलाश की। इस दौरान खजाने से सोने-चांदी की छड़ियां मिलीं हैं। तोशखाने के अंदर बने 30 फीट नीचे तहखाने में भी टीम ने उतरकर खजाने की खोजबीन की।

तोशखाने के मुख्य दरवाजे को ग्राइंडर से काटकर टीम अंदर घुसी, जहां मुख्य कमरे के अंदर बने एक और कमरे में टीम को दो संदूक मिले। जिनमें एक बड़ा और दूसरा छोटा था। इस संदूक में बर्तन, कीमती नग और सिक्के मिले हैं। वहीं एक लंबा संदूक भी मिला जिसमें ठाकुरजी की सोने की लकुट सहित तीन चांदी की छड़ियां मिली हैं। इसके साथ ही ठा. बांकेबिहारी महाराज की एक काले रंग की पिछवाई भी मिली हैं। इसके बाद टीम को अंदर तहखाने का सुराग मिला, जहां कमेटी के सदस्यों और खोजबीन कर रही टीम ने उतरकर देखा तो वह एकदम साफ था। कर्मचारी वहां अपने साथ लाइट लेकर उतरे। हाई पावर्ड कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि तोशखाने में मिलीं छड़ियों पर गुलाल के निशान मिले हैं, जिससे प्रतीत होता है कि उसे समय होली के दर्शनों के दौरान ठाकुरजी के हाथों में लकुट धारण कराई जाती होगी। जिन संदूकों से नग, सिक्के और मोहरें मिलीं, उनमें काफी मिट्टी भरी हुई थी। जिनसे कर्मचारियों ने बहुमूल्य वस्तुओं को निकालकर साफ करके अधिकारियों को सौंपा। खोजबीन पूरी होने के बाद जो जहां मिला था, वहीं रख दिया गया और लोहे की छड़ से बेल्डिंग कर तोशखाने का दरवाजा बंद कर दिया गया। इसके बाद लोहे की चेन से लॉक करने के पश्चात् सफेद कपड़े से तोशखाने को सील कर दिया गया।

विधि विशेषज्ञ कुंजबिहारी वर्मा एडवोकेट ने बताया कि ठा. बांकेबिहारी महाराज का सैकड़ों वर्ष पुराना खजाना ठाकुरजी की संपत्ति तथा हम सभी की धरोहर है। यह सुखद है कि खजाना खोजने की इस जटिल प्रक्रिया के बाद अब संभव है कि श्रद्धालुओं को इन दुर्लभ वस्तुओं के दर्शन का सौभाग्य भी कमेटी और प्रशासन के निर्णय की अनुसार भविष्य में मिल सकेगा।