ऐसी मान्यता है आज के दिन जो भाई-बहन मथुरा में यमुनाजी के विश्राम घाट पर स्नान करते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन बहन के द्वारा भाई की लंबी आयु की कामना की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीय के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुला कर सत्कार करके भोजन कराया था।
इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी दीर्घायु तथा अपने सुहाग की रक्षा के लिए हाथ जोड़ कर यमराज से प्रार्थना करती हैं। इस दिन यमराज को तृप्त और प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है।