डॉ. रोहित पाठक ने बताया कि सीपीआर एक जीवनरक्षक तकनीक है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का हृदय या सांस अचानक बंद हो जाए। उन्होंने कहा कि “यदि किसी व्यक्ति को अचानक हार्ट अटैक आए और वह बेहोश हो जाए, तो तुरंत सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।”
सीपीआर देने की प्रक्रिया समझाते हुए उन्होंने बताया कि सबसे पहले मरीज की प्रतिक्रिया और सांस की जांच करें, यदि सांस नहीं चल रही हो तो मरीज को सख्त सतह पर लिटाएं, दोनों हाथों की हथेलियों को एक-दूसरे पर रखकर छाती के बीचोंबीच दबाव (30 बार) दें, इसके बाद दो बार मुंह से सांस (रेस्क्यू ब्रीद) दें, यह क्रम तब तक दोहराएं जब तक मरीज की सांस या दिल की धड़कन वापस न आ जाए या मेडिकल सहायता न पहुंच जाए।
सीएमएस डॉ. आरके कोहली ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष हृदयाघात से लगभग 70 लाख लोगों की मौत होती है, जिनमें से करीब 40 प्रतिशत मौतें आपके पास मौजूद व्यक्ति को सीपीआर की जानकारी न होने या समय पर सहायता न मिलने के कारण होती हैं। यदि समय रहते सीपीआर दिया जाए तो 50-60 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है।
उन्होंने आम जनता से अपील की कि सीपीआर की जानकारी केवल डॉक्टरों या नर्सों तक सीमित न रहे, बल्कि हर व्यक्ति को यह तकनीक सीखनी चाहिए ताकि आपात स्थिति में किसी की जिंदगी बचाई जा सके। इस अवसर पर चिकित्सालय के अनेक स्वास्थ्यकर्मी व मरीज उपस्थित रहे जिन्होंने डेमो देखकर सीपीआर तकनीक को अपनाने का संकल्प लिया। इस दौरान अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ एके द्विवेदी, जिरियाट्रिक फिजिशियन डॉ शिखर बाजपेई, इएमओ डॉ ललित वर्मा सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।