टकनौर क्षेत्र में आलू की बंपर पैदावार, खरीददार नहीं

बता दें कि पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतर लोगों कि आजीविका आलू जैसी नगदी फसलों पर निर्भर रहती है । किसान शिबेन्द्र सिंह राणा, भूपेंद्र सिंह रावत, विनोद पंवार, बलवीर सिंह राणा, फागण सिंह राणा,भरत सिंह नेगी का कहना है कि जिस प्रकार आलू का बीज सरकारी तंत्र के जरिए सहकारी समितियों से किसानों तक लगभग 1800 प्रति कुंतल के मुल्य से दिये गये उसी प्रकार जिला प्रशासन आलू को खरिदने के लिए उचित मूल्यों के साथ सहकारी समितियों या उद्यान विभाग व कृषि विभाग के माध्यम से कास्कारों की फसलों को खरीदे। ताकि ग्रामीण को उनकी मेहनत का फल मिल सकें। जबकि किसानों का साफ साफ कहना है कि साल भर मेहनत कर हम इस समय का इन्तजार करते हैं ताकि जो भी कर्ज लिया गया है उसे चुका सकें। अगर आलू उचित मुल्य पर नहीं बिकता है तो आजीविका का संकट पैदा हो सकता है ।

आलू की फसल वैसे पूरे क्षेत्र में होती है लेकिन टकनौर घाटी के रैथल,क्यार्क, बन्द्राणी,नटीन, द्वारी,पाही,गोरशाली, जखोल,बारसू,पाला,कुज्जन, तिहार व नाल्डकठूड के गांव अधितर इसी पर निर्भर है । जिस प्रकार उपला टकनौर सेब बागवानी पर निर्भर है ।

इधर जिला आलू एवं शाकभाजी अधिकारी मनोरंजन सिंह भंडारी ने बताया कि आलू के समर्थन मूल्य घोषित करने को लेकर शासन स्तर पर पत्राचार किया गया है। उम्मीद है कि शासन स्तर से उचित निर्णय लिया जायेगा।