सूचना मिलने के बाद वन विभाग और पशु चिकित्सकों की टीम ने लगभग चार घंटे की मेहनत के बाद घायल हाथी का प्राथमिक इलाज शुरू किया। प्रारंभिक उपचार के दौरान हाथी को केले में दवा मिलाकर खिलाई गई, जिसे उसने निगल लिया। वन विभाग की टीम लगातार हाथी की निगरानी कर रही है।
सोमवार को पशु चिकित्सक डॉक्टर संजय कुमार ने बताया कि हाथी को एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और सूजन कम करने की दवाइयां दी गई हैं। उन्होंने कहा कि चोट का कारण बड़ा इंपैक्ट है, हालांकि आईईडी विस्फोट की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता। डॉक्टर कुमार ने यह भी बताया कि हाथी को बेहतर इलाज के लिए दूसरे स्थान पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। घायल हाथी 10-12 वर्ष की मादा है और गंभीर चोट के कारण ठीक से चल नहीं पा रही है। वन विभाग की टीम उसकी हालत पर लगातार नजर रखे हुए है और जल्द स्वस्थ होने के लिए प्रयासरत है।