रायपुर में आयोजित इस सरस मेले में देशभर के 17 राज्यों के स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने भाग लिया। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से आए स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए हस्तशिल्प, हैंडलूम वस्त्र, जैविक उत्पाद, पारंपरिक व्यंजन, गृह उपयोगी सामग्री आदि उत्पादों का 200 से ज्यादा स्टॉलों के माध्यम से प्रदर्शन एवं विक्रय किया गया। दीवाली पर्व के मद्देनजर समूह द्वारा विशेष रूप से हस्तनिर्मित सामाग्रियों से गिफ्ट हैम्पर भी बनाए गए थे। सभी स्टालों से 10 दिनों में लगभग 60 लाख रूपए से ज्यादा की सामाग्री का विक्रय किया गया। यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा नागरिकों से स्वदेशी वस्तुओं को क्रय करने की अपील को बल प्रदान करता है। जहां स्थानीय महिलाओं द्वारा त्यौहारी सीजन में तैयार किये गए उत्पादों को बहुत अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ। स्वदेशी उत्पादों को देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्राहक मेले में पहुंचे थे।
सरस मेला का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना, स्थायी बाजार उपलब्ध कराना और उन्हें उद्यमिता के नए अवसरों से जोड़ना रहा है। इस आयोजन ने हजारों महिलाओं को न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का मंच दिया, बल्कि उन्हें गौरव और आत्मविश्वास के साथ समाज में खड़ा होने का अवसर भी प्रदान किया है। त्यौहारों के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा राज्य भर में स्व सहायता समूहों के द्वारा मेले का आयोजन कर विभिन्न उत्पादों एवं गिफ्ट हैंपरों का प्रदर्शन एवं विक्रय किया गया है। जिसमें रायपुर के अतिरिक्त राज्य के समस्त जिलों में कुल 155 स्टॉलों के माध्यम से कुल 15.55 लाख रुपए की सामग्री एवं 14.12 लाख रुपए के दिवाली गिफ्ट हैम्पर का विक्रय किया गया है। इस प्रकार सरस मेले एवं अन्य मेलों के माध्यम से बिहान की दीदीयों के द्वारा दिवाली के अवसर पर लगभग 90.00 लाख रुपये का व्यापार किया गया है।