किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने आज अमृतसर के देवीदासपुरा में रेल रोको आंदोलन की शुरुआत की। आंदोलन की शुरुआत से पहले, समिति ने सरकार को 12 बजे तक का अल्टीमेटम दिया था। किसानों और प्रशासन के बीच हुई बातचीत में कुछ मांगों पर सहमति प्राप्त हो गई, जिसके फलस्वरूप किसानों ने अपने धरने को स्थगित करने का निर्णय लिया। अब, किसानों ने 3 अक्टूबर को एक बार फिर से केंद्र सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए 2 घंटे तक ट्रेन रोके जाने की योजना बनाई है।
आज प्रशासन के साथ आयोजित बैठक में, शहीद किसानों के तीन परिवार के सदस्यों को नौकरी पत्र दिए गए और मृत किसानों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। इसके अलावा, सरकार ने 5 अक्टूबर को एक बैठक का आश्वासन भी दिया। पंजाब के किसान नेता सरवान सिंह पंधेर ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के हाल के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। पंधेर ने कहा कि खट्टर ने खुद यह स्वीकार किया है कि उन्होंने बड़े बैरिगेट लगाकर हरियाणा में किसानों को रोका है, जिसका परिणाम यह हुआ कि ट्रांसपोर्ट और व्यापार प्रभावित हुए हैं।
पंधेर ने आगे कहा कि खट्टर का यह बयान आगामी चुनावों के मद्देनजर है और किसानों के हितों के खिलाफ दिए गए बयान उनकी पुरानी आदत है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि खट्टर पहले भी किसानों के खिलाफ बोल चुके हैं और बाद में माफी मांगने के लिए मजबूर हुए। वहीं, कंगना रनोट के बयान पर भी पंधेर ने प्रतिक्रिया दी, यह दावा करते हुए कि उनका बयान व्यक्तिगत था, जबकि वो सांसद हैं और उनका कोई बयान व्यक्तिगत नहीं होता।
किसानों ने पंजाब सरकार से अपनी मांगों के संदर्भ में कल से ही आंदोलन शुरू कर दिया है। किसानों ने कल जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने धरना दिया और आज उन्होंने रेल रोको आंदोलन का अल्टीमेटम पेश किया। किसानों की मांगों में शहीद किसानों के परिवारों को नौकरियों और मुआवजे, शंभू बॉर्डर पर हुए बस दुर्घटना में घायल किसानों के लिए मुआवजा, पराली संबंधी समस्याएँ, और भारत माला प्रोजेक्ट से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। साथ ही, किसानों ने डीएपी की कमी को लेकर भी सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की है।
किसानों ने कहा कि कल की बातचीत में उनकी मांगों का कोई ठोस समाधान नहीं निकला, जिससे वे फिर से लामबंद होने को मजबूर हुए। ध्यान देने वाली बात यह है कि किसानों की समस्याओं का समाधान न होना उनकी नाराजगी को बढ़ा सकता है और आने वाले समय में किसान आंदोलन की आंच बढ़ा सकता है। किसान नेता सरवान सिंह का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। अब सबकी नजरें 3 अक्टूबर को होने वाले आंदोलन पर हैं, जब किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करने की योजना बनाई है।