जलालाबाद से एक ऐसी कहानी सामने आई है जिसमें एक बेटे ने अपने पिता की याद को संजोए रखते हुए लगभग 40 वर्षों तक चलने वाले कानूनी संघर्ष के बाद न्याय प्राप्त किया। यह मामला एक गांव जोधा का है, जहां मक्खन सिंह की संपत्ति पर किसी व्यक्ति ने अवैध कब्जा कर लिया था। मक्खन सिंह इस पर न्याय पाने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ते रहे, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें न्याय मिलते-मिलते उनकी मृत्यु हो गई। अब उनके बेटे अमनदीप ने इस मामले को आगे बढ़ाया और अंततः अदालती आदेशों के बाद प्रशासन ने उन्हें उनके पिता की दो एकड़ जमीन का कब्जा दिलाया।
अमनदीप ने बताया कि वर्षों तक उन्होंने सिर्फ अपनी जमीन का हक पाने के लिए ही नहीं, बल्कि अपने परिवार की सुरक्षा के लिए भी लड़ाई लड़ी। अदालत में लंबी कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करने के दौरान उन्हें दिहाड़ी मजदूरी करके अपने प्रकरण के लिए न्यायालय में पेश होने के लिए संघर्ष करना पड़ा। लगभग चार दशकों के बाद जब उन्होंने आखिरकार अपने हक की जमीन पाई, तो यह उनके लिए एक बड़ी जीत थी। अमनदीप का कहना है कि जिस व्यक्ति ने उनकी जमीन पर कब्जा किया था, उसने उन्हें बार-बार धमकाया और डराने-धमकाने का प्रयास किया, जिसके फलस्वरूप उन्होंने अदालत का सहारा लिया।
इस बीच, प्रशासन ने भी इस मामले में तेजी दिखाई। तीन बार अधिकारियों ने मौके पर आकर कब्जा दिलाने का प्रयास किया, लेकिन अनुपलब्ध कारणों से वो सफल नहीं हो पाए। हालाँकि, इसके बाद प्रशासन ने कंप्यूटराइज्ड निशानदेही करवाई, जिससे भूमि का सही स्थिति का पता लगा और अंततः परिवार को जमीन का कब्जा दिलाया गया। कानूगो कुलवंत सिंह ने भी पुष्टि की है कि आदेशों का पालन करते हुए परिवार को उचित हक दिया गया है।
अमनदीप और उनका परिवार इस न्याय की प्रक्रिया को देखकर काफी संतुष्ट हैं। उनकी मेहनत और संघर्ष को अंततः कामयाबी मिल गई, जो न केवल उनके लिए बल्कि समाज के कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह मामला बताता है कि धैर्य और दृढ़ता के साथ अगर व्यक्ति अपने हक की लड़ाई लड़े, तो अंततः वह विजय प्राप्त कर सकता है। इसने यह भी स्पष्ट किया कि कानूनी प्रक्रिया भले ही लंबी और कठिन हो, लेकिन अंत में न्याय की विजय होती है।
इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि न्यायालयों में मामलों की लम्बाई अनेक व्यक्तियों के जीवन पर कैसे प्रभाव डाल सकती है। अमनदीप जैसे लोगों को न्याय पाने के लिए अपना पूरा जीवन लगाना पड़ता है और यह समाज में एक गंभीर समस्या को दर्शाता है। अब, जब अंततः अमनदीप को अपनी जमीन का मालिकाना हक मिला है, वह एक नए जीवन की शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं।