पंजाब के गुरदासपुर स्थित बटाला रोड पर स्थित मेडिसिटी अस्पताल में एक युवक की उपचार के दौरान मृत्यु को लेकर उसके परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना के अनुसार, मरीज का गुर्दे की पत्थरी का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद उसकी हालत बिगड़ गई, जिस पर डॉक्टरों ने उसे अमृतसर के अस्पताल रेफर कर दिया। अमृतसर पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ गंभीर आरोपों को जन्म दिया है।
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, मरीज शिल्पा महाजन का पति, आशुतोष महाजन, गुर्दे की पत्थरी की समस्या से जूझ रहा था, जिसके लिए उसे मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने पहले उसकी इन्फेक्शन का इलाज किया और बाद में ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद, आशुतोष की हालत में सुधार दिख रहा था, लेकिन अचानक उसे तेज दर्द और कमजोरी महसूस हुई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया और काफी देर बाद उसे वेंटिलेटर पर डाला गया।
मार्च की एक रात को, अस्पताल में हुई इस घटना के बाद, आशुतोष की हालत तेजी से बिगड़ गई। उसकी स्थिति को देखते हुए परिजनों ने बार-बार डॉक्टर्स से संपर्क किया, लेकिन आवश्यक उपचार में विलंब हुआ, जिससे परिवार में आक्रोश फैल गया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ही उनका बेटा जीवन और मृत्यु के बीच झूलता रहा। जब उन्हें मरीज का रेफर करने का बताया गया, तो उन्होंने अस्पताल के बाहर धरना शुरू कर दिया।
धरने का आयोजन करते हुए पारिवारिक सदस्यों ने अस्पताल प्रबंधन को दोषी ठहराया, और मांग की कि सरकारी डॉक्टरों के पैनल द्वारा मरीज का नया मूल्यांकन किया जाए। इसी मांग के बाद, अस्पताल से डॉक्टरों की एक टीम मौके पर पहुंची और मरीज की स्थिति की जांच की। इसके बाद, मरीज को अमृतसर शिफ्ट किया गया, जहां उसे मृत घोषित किया गया।
इस गंभीर मामले के संदर्भ में अस्पताल के प्रबंधक, डॉक्टर मनजीत सिंह बब्बर ने कहा कि मरीज का इलाज सही तरीके से किया गया था। उनका कहना है कि मरीज को पहले से ही कुछ समस्या थी, जिससे उसे फीट आ गया था। हालांकि, परिजनों का आरोप है कि मरीज की जान की सुरक्षा में पराजय अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ही थी।
परिवार ने स्पष्ट किया है कि जब तक अधिकारियों द्वारा डॉक्टरों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होती, वे संघर्ष जारी रखेंगे। उनका कहना है कि यदि उनके बेटे की अप्राकृतिक मृत्यु के लिए अस्पताल के प्रबंधन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता, तो वे आगे का आंदोलन करेंगे। यह घटनाक्रम चिकित्सा प्रणाली में आवश्यक सुधारों की जरूरत को भी उजागर करता है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।