खन्ना मंडी में पहुंचे डीसी जतिंदर जोरवाल: आढ़तियों और शेलर मालिकों की समस्याएं सुलझेंगी, किसानों को राहत!

पंजाब में धान का सीजन एक अक्टूबर से शुरू होने वाला है, लेकिन इस बीच आढ़तियों और शेलर मालिकों द्वारा हड़ताल का ऐलान किया गया है। इस समस्याग्रस्त स्थिति से निपटने के लिए लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर जतिंदर जोरवाल ने खन्ना, जो एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी मानी जाती है, का दौरा किया। यहां मार्केट कमेटी के हाल में सीजन से पूर्व आढ़तियों और शेलर मालिकों के साथ बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें उनकी समस्याओं को सुनने का प्रयास किया गया।

मीटिंग में शेलर मालिकों ने अपनी कठिनाइयों का जिक्र करते हुए बताया कि पंजाब की शेलर इंडस्ट्री संकट में है। दिलमेघ सिंह खटड़ा और सुखविंदर सिंह सुक्खी ने माना कि धान की फसल लगाने के लिए पर्याप्त स्थान की कमी हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि मंडी में फसल की खरीदारी से लेकर शेलर में भंडारण तक 200 फीसदी चेकिंग की जाती है, जबकि सीजन के बाद एफसीआई अधिकारियों द्वारा पुनः चेकिंग की जाती है, जिसके चलते माल रिजेक्ट होने के साथ-साथ भारी पेनल्टी भी लगाई जाती है। इस स्थिति के लिए शेलर मालिकों को अधिकतर दोषी ठहराया जाता है। उनका कहना है कि सरकारी हस्तक्षेप में निरंतरता का अभाव रहा है, जिससे समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

हालात को देखते हुए आढ़तियों ने ढाई फीसदी कमीशन की मांग की है। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान हरबंस सिंह रोशा ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि उनकी इस मांग को स्वीकार किया जाता है, तो वे एक अक्टूबर से धान की खरीदारी के लिए तैयार हो जाएंगे। अन्यथा, वे हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि शेलर मालिकों की परेशानियों का समाधान भी आवश्यक है क्योंकि स्पेस की कमी धान के सीजन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर जतिंदर जोरवाल ने आश्वासन दिया है कि पंजाब सरकार इस मुद्दे पर उच्च स्तर पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में आने वाले 48 घंटों में समस्याओं के समाधान की कोशिश की जाएगी ताकि एक अक्टूबर से सीजन को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि उनकी फसल को उचित मूल्य पर खरीदा जाएगा और उनके हितों का पूरी तरह से ध्यान रखा जाएगा।

इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए उच्च प्रबंधन, आढ़ती एसोसिएशन और शेलर मालिकों के बीच चर्चा महत्वपूर्ण है ताकि भावी सीजन में अड़चनें न आएं और किसान अपने उत्पादन को सही ढंग से बाजार में उतार सकें। आने वाले दिनों में उम्मीद है कि राज्य सरकार और संबंधित पक्ष इस दिशा में ठोस कदम उठाने में सफल होंगे।