पंजाब सरपंच पद के लिए 2 करोड़ की बोली! पैसा विकास में खर्च का दावा

पंजाब में पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। गुरदासपुर जिले के हरदोवाल कलां गाँव में सरपंच पद के लिए रिकॉर्ड 2 करोड़ की बोली लगी है। इस बोली का आज भी जारी रहना तय है, जबकि अभी तक किसी प्रकार का आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। भाजपा नेता आत्मा सिंह का मानना है कि बोली की राशि और भी बढ़ने की संभावना है और गाँव के सभी निवासियों ने इस बोली के संदर्भ में अपनी सहमति दी है।

गाँव की युवा सभा का दावा है कि बोली से प्राप्त राशि का उपयोग गाँव के विकास कार्यों पर किया जाएगा, जबकि पंचायत को मिलने वाला अनुदान अलग से होगा। यह मामला असामान्य है, क्योंकि गाँव में इस तरह की बोली प्रक्रिया पहली बार आ रही है। स्थानीय प्रशासन के पास अब तक इस संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। गाँव में कुल 824 घर हैं और जनसंख्या 4742 है, जिसमें पुरुष 2494 और महिलाएं 2248 हैं। बोली में तीन अलग-अलग पार्टियाँ शामिल हैं, जिन्होंने सबसे ऊंची बोली लगाने की कोशिश की है।

इस बोली प्रक्रिया का आरंभ गुरुद्वारे से हुई घोषणा से हुआ। भाजपा नेता आत्मा राम ने पहली बार 50 लाख रुपये की बोली लगाई थी, जिसके बाद जसविंदर सिंह ने 1 करोड़ की बोली लगाई और अंततः आत्मा सिंह ने 2 करोड़ की विशाल बोली लगाई। वहीं, भाजपा नेता विजय सोनी ने आत्मा सिंह को उनकी बेहतरीन बोली के लिए बधाई भी दी है। युवा सभा ने यह निर्णय किया है कि जो भी व्यक्ति सबसे अधिक राशि देने में सफल रहेगा, उसे सर्वसम्मति से सरपंच के पद पर चुना जाएगा।

हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर कुछ विरोध भी उठ रहे हैं। सतनाम सिंह दाऊं, जो कि पंजाब में ग्रामीण मामलों को उठाते हैं, ने इस बोली प्रक्रिया को गलत बताते हुए कहा कि यह आम जन के अधिकारों का उल्लंघन करती है। उनका मानना है कि कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ने का हकदार है और इस तरह की बोली व्यवस्था से लोकतंत्र को हानि पहुँच सकती है। उन्होंने चुनाव आयोग को इस संदर्भ में पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट कलजीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंचायती राज एक्ट में इस प्रकार की सर्वसम्मति की प्रक्रिया का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने सरकार पर जोर दिया कि इस तरह के प्रथाएँ चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती हैं। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि विजिलेंस विभाग को इस मामले की जांच करनी चाहिए, क्योंकि यह एक प्रकार का भ्रष्टाचार है। उन्होंने सरकार से इस पर ध्यान देने की अपील की है, ताकि मानवीय अधिकारों का उल्लंघन न हो।

इन सभी घटनाक्रमों के बीच, यह स्पष्ट है कि पंजाब में पंचायत चुनावों से जुड़ी प्रक्रियाएँ और उनकी वैधता पर गहरी चर्चा और विचार-विमर्श होना आवश्यक है। चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूती मिल सके।