वनमंडलाधिकारी कार्यालय में बस्तर दशहरा का सबसे बड़ा देशी शराब का बाजार-मंद पसरा हुआ गुलजार

वनमंडलाधिकारी कार्यालय में बस्तर दशहरा का सबसे बड़ा देशी शराब का बाजार-मंद पसरा हुआ गुलजार

जगदलपुर, 13 अक्टूबर (हि.स.)। बस्तर दशहरा में वनमंडलाधिकारी कार्यालय परिसर में तीन दिवसीय लगने वाले सबसे बड़ा देशी महुए की शराब का बाजार-मंद पसरा में मंहुए के शराब की खुले आम बिक्री होती है। जहां बड़ी संख्या में शराब के शौकीन पंहुच रहे हैं। इस शराब के बाजार को स्थानीय बोली में मंद पसरा कहते हैं। इस तरह का शराब का इतना बड़ा बाजार देश में किसी उत्सव में शायद ही कहीं देखने के लिए मिलता है। मंद पसरा में छिंदावाड़ा, कोड़ेनार, बास्तानार, किलेपाल, डिलमिली, पखनार, बीसपुर सहित अन्य दर्जनों गांवों के 200 से ज्यादा ग्रामीण महुआ से बनी शराब बेचने पहुंचते हैं और तीन दिन लगने वाले शराब के बाजार में यहां लगभग पांच हजार लीटर से अधिक शराब की खपत का अनुमान है। इस दौरान शराब के इस बाजाार को पुलिस-प्रशासन के द्वारा पूरी छूट होती है।

वनमंडलाधिकारी कार्यालय परिसर में गुलजार शराब के बाजार में विभिन्न गांवों से आए 200 से ज्यादा ग्रामीणों ने अच्छी कमाई की, वहीं महुए की शराब पसंद करने वालों ने छक कर इसे पीया इस मंद पसरा में दर्जनों चखना बेचने वालों को तीन दिन और रात के कारोबार में अच्छी कमाई हो जाती है। बस्तर में आदिवासियों को महुए की शराब बनाकर पीने की छूट है, लेकिन बेचने की नहीं इस बात से पुलिस वाले भी भली भांति वाकिफ है लेकिन बस्तर दशहरा के दौरान वे भी सबसे बड़े शराब के इस बाजार से दूरी बनाए रखे हुए थे।

बस्तर दशहरा के दौरान लगने वाले सबसे बड़े उन्मुक्त शराब के बाजार का इंतजार महुए की शराब पसंद करने वालों के साथ दर्जनों चखना ठेला वालों को भी रहता है, शराब के साथ चखना में चना से लेकर मुर्गा-मछली तक यहां उपलब्ध रहता है। लोग वनमंडलाधिकारी कार्यालय परिसर में ही बैठ कर मद्यपान करते है, इसलिए यहां काफी भीड़ रहती है।

लोगों का मानना है कि‍ बस्तर संभाग में बाजार परम्परा और संस्कृति का एक हिस्सा है और लोग इस बाजार को नजदीक से निहारने के लिए, देशी-विदेशी पयर्टक भी जुटते हैं। इस शराब की बिक्री से महिलाएं जुड़ी हुई दिखती हैं, वे सिर्फ इतना कमा लेती हैं कि जब दशहरा पर्व समाप्त हो और वे घर के लिए लौटें तो उनके हाथों में उनके बच्चों के लिए कुछ खाने-पीने की वस्तुए, कुछ नए वस्त्र हों, उनके अपने बच्चों के चेहरे पर खुशी की झलक देख सकें। महिलाएं देशी शराब बेचकर अपने परिवार की खुशी बटोरती है। कोड़ेनार के आदिवासी प्रमुख सोनसिंह ने बताया कि यह हमारी संस्कृति एवं परंपरा है पैसा कमाना नहीं है। परंरपरा को निभाना हमारा उद्देश्य है।

ग्रामीण सन्नूराम मरकाम ने बताया कि महुए की शराब में विभिन्न नशीली वस्तुओं की मिलावट भी की जाती है, इस कारण शराब बदनाम है, लोगों को भरोसा है कि दूरस्थ गांवों से पहुंचे ग्रामीणों के शराब में मिलावट नहीं है, इसलिए मंद पसरा को लोग पसंद करने लगे हैं।

कोड़ेनार के आयतु, सोनाय, बास्तानार के भीमे, मूतनपाल की आयती ने बताया कि उसने 100 से 120 रुपये की दर से शराब बेचा और आशा के अनुरूप कमाई हुई है। इन्होंने यह भी बताया कि शहर के शराब प्रेमियों ने मंद पसरा में हमसे मोबाइल नंबर लिया है इनका अनुरोध है कि जब भी जरूरत होगी वे इनसे शराब मंगवा लेंगे।

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