बरनाला में किसान हड़ताल: मार्केट कमेटी का घेराव, सरकार विरोधी नारे गूंजे

बरनाला जिले के किसानों को धान की खरीद और लिफ्टिंग में हो रही समस्याओं के कारण गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसानों, मजदूरों और आढ़तियों ने आज महल कलां और मंगेवाल की अनाज मंडियों में प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर जोरदार नारेबाजी की। महल कलां में प्रदर्शनकारियों ने मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना दिया, वहीं मंगेवाल में खरीद एजेंसी के इंस्पेक्टर और मार्केट कमेटी के अधिकारियों का घेराव किया। विभिन्न संगठनों के नेताओं ने किसानों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की।

प्रदर्शनकारियों ने राजिंदर पाल सिंह बिट्टू, हरजीत सिंह ख्याली और सुखविंदर सिंह साखा जैसे नेताओं की अगुवाई में आरोप लगाया कि खरीद एजेंसियां नमी को लेकर बहाने कर रही हैं और धान की खरीद से टालमटोल कर रही हैं। उन्हें चिंता है कि लिफ्टिंग की व्यवस्था न होने के कारण उनकी फसल मंडी में अटकी हुई है, जिस वजह से सरकार की नीतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लिफ्टिंग के लिए शैलर आवंटित नहीं किए जा रहे हैं, जिससे खरीदी गई फसल की उठान नहीं हो पा रही है।

किसानों ने बताया कि पिछले 20 दिनों से वे अपनी फसल लेकर मंडी में बैठे हैं, लेकिन उनकी फसल खरीदने वाला कोई नहीं है। इससे न केवल उनकी फसल का नुकसान हो रहा है बल्कि दीमक लगना शुरू होने से स्थिति और बिगड़ रही है। वे हताश होकर यह कह रहे हैं कि मंडियों में ही वे दिवाली का त्योहार भी मनाने को मजबूर हैं। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो वे उग्र संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।

इस मुद्दे पर मार्केट कमेटी महल कलां के सचिव दीनपाल सिंह ने जानकारी दी कि उनकी कमेटी के तहत 24 खरीद केंद्रों पर मानक के अनुसार 17 प्रतिशत नमी वाला धान खरीदा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि फसल उठान के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन किसानों की शिकायतों के मद्देनजर और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

किसानों ने स्पष्ट किया है कि वे अधिकारियों और सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यदि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो निश्चित रूप से यह एक बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन किसानों की परेशानियों को गंभीरता से लेकर त्वरित कदम उठाए, ताकि उन्हें उचित राहत मिल सके और उनकी मेहनत का फल नष्ट न हो।