पंजाब के मुक्तसर जिले में स्थित विधानसभा हलका गिद्दड़बाहा में बुधवार को पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (पीएसयू) ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों के कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान पीएसयू के सदस्यों ने पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष रणवीर सिंह ने इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने से पहले शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और पंजाब की सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने का वादा किया था, लेकिन अब तक इन वादों को पूरा नहीं किया गया।
रणवीर सिंह ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा लाई गई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है, जिसके नकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में, सरकार ने आठ सरकारी कॉलेजों को प्राइवेट करने का निर्णय लिया था, लेकिन विद्यार्थियों और शिक्षकों के विरोध के कारण उसे यह फैसला वापस लेना पड़ा। इसके अलावा, शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि आठवीं कक्षा तक के स्कूलों को हाई स्कूलों में मर्ज किया जाने वाला है, जो इस विवादित नीति के तहत किया जा रहा है।
यूनियन के नेताओं का कहना है कि यदि ऐसे फैसले स्वीकार किए जाते हैं, तो कई स्कूलों को बंद करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे आम जनता को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पंजाब के विकास के लिए आवश्यक है कि राज्य सरकार इस नई शिक्षा नीति को पंजाब विधानसभा में तुरंत रद्द करे और खुद एक उचित शिक्षा नीति बनाई जाए जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हो।
इस आंदोलन में पीएसयू के जोनल नेताओं ने भी भाग लिया, जिनमें सुखप्रीत कौर, कमलजीत मुहार और नौनिहाल थांदेवाला शामिल थे। उन्होंने पंजाब की युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की, जिससे प्रदेश के छात्रों को समान अवसर प्रदान किए जा सकें। इन नेताओं ने हरियाणा और कर्नाटक की तर्ज पर पंजाब में भी नौकरियों के लिए आरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस प्रकार, गिद्दड़बाहा में आयोजित यह विरोध प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि पंजाब में शिक्षा प्रणाली और सरकारी नौकरी के मुद्दे पर विद्यार्थियों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। उनकी मांगों का समर्थन करते हुए पीएसयू ने सरकार से अपील की है कि वे स्थानीय शिक्षा हितों को प्राथमिकता दें और युवाओं के भविष्य के लिए एक सुरक्षित और समर्पित शिक्षा नीति लागू करें।