गुरुग्राम: कॉमन टायलेट साफ रहें, इसलिए अधिकारी भी उनका इस्तेमाल करें…
-नगर निगम गुरुग्राम के आयुक्त ने जारी किए यह निर्देश
-निगमायुक्त ने कहा, वे खुद भी कॉमन टॉयलेट का करेंगे इस्तेमाल
गुरुग्राम, 7 नवंबर (हि.स.)। यह कड़वी सच्चाई है कि किसी भी सरकार दफ्तर में अधिकारियों के कार्यालयों में तो बेहतर टॉयलेट बने होते हैं, लेकिन पब्लिक टॉयलेट का बुरा हाल होता है। सफाई न होने के कारण सड़ांध आती रहती है। शायद अब ऐसा न हो, क्योंकि नगर निगम गुरुग्राम के आयुक्त ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वह अपने कार्यालयों में बने टॉयलेट को बंद करके कॉमन टॉयलेट का इस्तेमाल करें। इससे वहां पर साफ-सफाई दुरुस्त रहेगी।
नगर निगम गुरुग्राम के आयुक्त अशोक कुमार गर्ग ने यह अनूठी पहल की है।
निगमायुक्त ने कहा कि वह स्वयं भी अपने कार्यालय में बने पर्सनल टॉयलेट की बजाए कॉमन टॉयलेट का इस्तेमाल करेंगे। इसके साथ ही उन सभी अधिकारियों को भी कॉमन टॉयलेट का इस्तेमाल करने की हिदायत दी गई है, जिनके केबिन में पर्सनल टॉयलेट बने हुए हैं। इस पहल से निगम कार्यालय में स्थित कॉमन टॉयलेट्स की सफाई व्यवस्था को और भी बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
निगमायुक्त ने कहा कि स्वच्छता नगर निगम गुरुग्राम की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इसकी शुरुआत निगम कार्यालय से ही की गई है। नगर निगम कार्यालय में बने सभी कॉमन टॉयलेट्स की बेहतर सफाई व रखरखाव बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। सभी अधिकारियों से भी कॉमन टॉयलेटों का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही गुरुग्राम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को भी बेहतर बना लिया जाएगा। शहर में स्थित सार्वजनिक शौचालयों की भी सफाई व रख-रखाव बेहतर ढंग से सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि नागरिकों को अच्छी सुविधाएं मिलें।
सार्वजनिक शौचालयों का है बुरा हाल
शहर में जगह-जगह पर नगर निगम सार्वजनिक शौचालय संचालित कर रहा है। उन शौचालयों का बुरा हाल है। कहीं पर पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। कहीं पर शीट्स टूटी पड़ी हैं। कहीं फर्श धंसा हुआ है, जिससे कभी भी जमीन पूरी धंसने से हादसा हो सकता है। इन शौचालयों से कभी बदबू खत्म नहीं होती। टायलेट के दरवाजे टूटे पड़े हैं। उदाहरण के तौर पर कमला नेहरू पार्क के बाहर बने शौचालय को ही ले लें। यहां बहुत बुरा हाल है।
मेन शौचालय के बाहर एक कैबिननुमा शौचालय है, जिसमें लोग पेशाब कर जाते हैं। सफाई के नाम पर वहां कुछ भी नहीं होता। अंदर भी हालात ऐसे ही हैं। रोजाना वहां पर कुछ ना कुछ टूटता रहता है। हालांकि सफाई ना होने के दोषी कुछ लोग भी हैं। वह शौचालयों के भीतर गुटखा खाकर दीवारों को गंदा करते हैं। खाली पैकेट भी टॉयलेट शीट में ही डाल देते हैं।