कनाडा में जालंधर की छात्रा की मौत: पेड़ गिरा, 11 महीने पहले गई थी पढ़ाई करने

जालंधर की एक युवा महिला, रितिका राजपूत, की tragically कनाडा में अचानक एक पेड़ के गिरने से मौत हो गई। रितिका की उम्र सिर्फ 22 वर्ष थी और यह घटना उनके लिए बेहद दुखदाई साबित हुई है। परिवार ने राज्य और केंद्र सरकार से अपील की है कि वह उनके बेटी के शव को भारत में लाने में मदद करें। कनाडा में रितिका के मित्र और कुछ अन्य लोग भी आर्थिक सहायता जुटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि शव को सुरक्षित तरीके से घर लाया जा सके।

रितिका की मां, किरण राजपूत ने बताया कि उनका परिवार 2007 में जालंधर आया था और तब से वे किराए के घर में रह रहे हैं। रितिका के पिता जालंधर में एक बुटीक चलाते हैं, जबकि उनकी छोटी बहन नौकरी कर रही है और भाई अभी पढ़ाई कर रहा है। आर्थिक समस्याओं के कारण, रितिका को कनाडा भेजा गया था ताकि वह वहां पर काम करके परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सके। रितिका कनाडा में हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट का ऑनलाइन कोर्स कर रही थी।

घटना के अनुसार, 7 दिसंबर को रितिका जेम्स लेक के पास एक पेड़ के गिर जाने से गंभीर रूप से घायल हो गई। इसके बाद उनकी स्थिति बिगड़ गई और अंततः वे अपने जीवन की लड़ाई हार गईं। बता दें कि रितिका ने इस वर्ष जनवरी में कनाडा जाने का निर्णय लिया था। भारत में भी उसने हॉस्पिटैलिटी का कोर्स किया था और वहां एक संस्थान में दाखिला लिया था। रितिका ने अपने अध्ययन के लिए लोन लिया था ताकि उसे बेहतर अवसर मिल सकें, लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी जिंदगी का यह सफर यहीं खत्म हो गया।

कनाडा में रितिका के दोस्तों और सहपाठियों ने मिलकर उस के अंतिम संस्कार के लिए जरूरी धन जुटाने की कोशिश की है। बॉब हीर, जो रितिका के साथ वहा रह रहा था, ने कहा कि वे सभी उसके परिवार तक शव को पहुंचाने के लिए पैसों की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शव को जालंधर में उसके परिवार के पास पहुंचने में दो सप्ताह का समय लग सकता है। परिवार और दोस्तों की भावना एकत्रित होकर रितिका की याद में एक भावुक कड़ी बना रही है, जबकि उन्हें इस दुखद घटना का सामना करना पड़ रहा है।

आखिरकार, रितिका की असामंजस्यपूर्ण मौत ने उनके परिवार और दोस्तों के लिए एक गहरी छाप छोड़ी है। उनकी कमी हर किसी को महसूस होगी, और यह घटना समाज में सुरक्षा और सतर्कता की आवश्यकता को भी उजागर करती है। आशा है कि रितिका के परिवार को जल्द ही उनका शव भारत में वापस मिलेगा और वे उसे अंतिम विदाई दे सकेंगे। इस दुखद क्षण में समाज और सरकार को उनके परिवार का सहारा बनना चाहिए।