शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने आज खनौरी बॉर्डर पर किसानों के संघर्ष में शामिल किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की। इस दौरान, उन्होंने डल्लेवाल की तबियत के बारे में जानकारी ली और उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर, हरजिंदर सिंह धामी ने मूल मंत्र का जाप किया, जो किसानों की मांगों के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाता है। इस मीटिंग में एसजीपीसी के अन्य सदस्य भी मौजूद थे, जिनमें कनिष्ठ उपाध्यक्ष स. बलदेव सिंह कल्याण, मुख्य सचिव कुलवंत सिंह, और अन्य सदस्य शामिल थे।
किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए चल रहे रेल रोको आंदोलन में भी एसजीपीसी सक्रिय रूप से शामिल है। इस आंदोलन के तहत, एसजीपीसी ने विभिन्न स्थानों पर लंगर की व्यवस्था की है, ताकि किसानों को कोई कठिनाई न हो। आंदोलन की शुरुआत से पहले अरदास भी की गई थी, जिससे किसानों की एकता और धार्मिक भावना का प्रदर्शन किया गया। सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया है कि उनकी मांगों को पूरा करवाने के लिए वे सदैव तत्पर रहेंगे।
जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो कि 26 नवंबर से खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं, ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य फसलों पर न्यूनतम समर्थन कीमत (MSP) की कानूनी गारंटी को सुनिश्चित करना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा यह दावा किया गया था कि किसानों को एमएसपी से अधिक मिल रहा है। इस पर, उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार वास्तव में ऐसा कर रही है, तो फिर एमएसपी की कानूनी गारंटी देने में क्या कठिनाई है।
डल्लेवाल ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि पिछले 10 सालों में गेहूं के एमएसपी में महज 825 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान खेती की लागत मूर्त रूप से बढ़ी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2004 से 2014 के बीच गेहूं के एमएसपी में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन वर्तमान हालात में किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।
इस प्रकार, यह अभ्यास न केवल किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए है बल्कि यह उनकी समस्या को राष्ट्र के सामने रखने का एक सशक्त माध्यम भी बन गया है। एसजीपीसी का समर्थन व किसानों का एकजुट होना यह दर्शाता है कि किसान आंदोलन अब और भी व्यापक रूप ले रहा है, जिसमें सभी वर्गों के लोग शामिल हो रहे हैं। यह आंदोलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कृषि के भविष्य से जुड़ा है, और इसके परिणाम न केवल किसानों के लिए, बल्कि राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे।