उधार की झोपड़ी में संचालित प्राइमरी स्कूल मुनगा के 70 बच्चों को स्कूल भवन का इंतजार
बीजापुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। जिला मुख्यालय से लगभग 21 किमी दूर मुनगा पहाड़-जंगल से घिरा छोटा सा गांव बेहद नक्सल संवेदनशील है। सलवा जुड़ूम के दाैरान नक्सली आतंक के चलते यहां भी स्कूल भवन काे नक्सलियाें ने ध्वस्त कर स्कूल बंद कर दिया था। शिक्षा विभाग के प्रयास से वर्ष 2022 में मुनगा गांव में जैसे-तैसे दो प्राइमरी स्कूल तो खोल दिया लेकिन बीते दो वर्षाें के बाद भी प्रशासन स्कूल भवन का निर्माण नहीं करा सका। नतीजतन स्कूल पहले कोठार में संचालित हुआ फिर पेड़ और तिरपाल के नीचे लगने के बाद अब गांव में ही उधार की झोपड़ी में संचालित हो रही है।
शिक्षक रेहान का कहना है कि दोनों स्कूलों को मिलाकर 70 बच्चे दर्ज हैं। स्कूल भवन के लिए समय-समय पर पत्राचार होता रहा है। निविदा प्रक्रिया पूरी होने की भी जानकारी मिली बावजूद इसके स्कूल भवन का काम शुरू नहीं हुआ। नतीजतन बच्चे कोठार में बैठकर पढ़ रहे हैं, मध्यान्ह भोजन भी खुले में पकता है। बरसात और सर्दियों में बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी धनेलिया ने कहा कि पूरे विषय से अवगत होकर वे जानकारी देंगे।
गाैरतलब है कि वर्ष 2005 में बस्तर का धुर नक्सल प्रभावित जिला बीजापुर में नक्सलियों के खिलाफ स्वस्फूर्त जन आंदोलन शुरू हुआ इसे सलवा जूड़ुम’नाम दिया गया । इस शब्द का गोंडी भाषा में अर्थ है ‘शांति यात्रा’। यह आंदोलन छत्तीसगढ़ की तात्कालीन भाजपा सरकार के समर्थन से चलाया गया था। इसका उद्देश्य राज्य में नक्सली हिंसा को रोककर शांति स्थापित करना था। जिसे वर्ष 2010 में सर्वाेच्च न्यायालय ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। दक्षिण बस्तर में सलवा जुड़ूम ही वह दौर था जब नक्सलियों ने बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा के अंदरूनी इलाकों में संचालित स्कूल, आश्रम, छात्रावासों को निशाना बनाया था। दर्जनों स्कूल नक्सलियों के निशाने पर आए तो कई लाल आतंक के खाैफ के चलते बंद हो गए। धीरे-धीरे हालात भी बदलने लगे, तत्कालीन भाजपा सरकार में डेढ़ दशक से बंद पड़े स्कूलों को फिर से संचालित करने की मुहिम शुरू हुई। नतीजा यह रहा कि धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में सालों बाद स्कूल की घंटियां बजने लगी। पिछली और मौजूदा सरकार ने इसकी वाह-वाही लूटी, लेकिन वाह-वाही के बीच दर्जनों स्कूलों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। बीजापुर के ग्राम मुनगा में संचालित संयुक्त स्कूल इसका एक जीवित उदाहरण है।
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