संस्थान बंद करने पर विधानसभा में हंगामा, विपक्ष का वाकआउट 

संस्थान बंद करने पर विधानसभा में हंगामा, विपक्ष का वाकआउट 

शिमला, 21 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने सुक्खू सरकार की राज्य में संस्थानों को बंद करने के मुद्दे पर जोर-शोर से घेराबंदी की और बाद में मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वाकआउट किया। इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार सिर्फ नीड बेस्ड नए संस्थान खोल रही है और भविष्य में भी इसी आधार पर संस्थान खोले जाएंगे। उन्होंने अगले कुछ माह के दौरान प्रदेश में एसडीएम कार्यालयों का युक्तिकरण करने की भी घोषणा की।

भाजपा विधायक रणधीर शर्मा के मूल सवाल के जवाब के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री उनसे पूछे गए सवाल का सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं। इस मुद्दे पर सदन में दोनों तरफ से पहले खूब हो हल्ला हुआ और फिर विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए। वाकआउट से पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर प्रदेश में व्यवस्था का पतन कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 1094 स्कूलों को बंद कर दिया, जिस कारण कई बच्चों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नादौन, देहरा और हरोली में तो संस्थान खोल रहे हैं, लेकिन बाकी चुनाव क्षेत्रों को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि आखिर सरकार का नया संस्थान खोलने का मापदंड क्या है।

इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने मूल प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रदेश में अब सिर्फ नीड बेस्ड संस्थान खुलेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मापदंड पर 37 संस्थान खोल दिए हैं, जबकि 103 संस्थान खोलने की अधिसूचना जारी कर दी गई है और इन संस्थानों के लिए नियुक्तियां की जा रही है। उन्होंने खुलासा किया कि मौजूदा सरकार ने सत्ता में आने के बाद कुल 1865 संस्थान बंद किए हैं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार ने कई ऐसे स्कूल खोल दिए, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं था। मौजूदा सरकार ने ऐसे संस्थानों का सर्वे करवाया और फिर बंद करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की गलत नीतियों के कारण हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में 21वें स्थान पर पहुंच गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए प्रयासरत है और गुणात्मक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए शिक्षकों की भर्ती की जा रही है और पहली कक्षा से अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई भी शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल भी खोल रही है। उन्होंने विधायक हंसराज के प्रतिपूरक सवाल के जवाब में कहा कि चुराह विधानसभा क्षेत्र में बिजली का मंडल खोलने के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का दौर चल रहा है और व्यवस्था परिवर्तन ससुराल या मायका देखकर नहीं किया जाता। यदि सरकार ऐसा करती है तो यह प्रदेश के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक फैसले नीड बेस्ड होते हैं और उनके लिए पूरा प्रदेश मायका भी है और ससुराल भी।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष के उठाए गए मुद्दों के जवाब में कहा कि अगर जयराम ठाकुर जनता के सच्चे सेवक होते तो वह एक अप्रैल 2022 के बाद नहीं, बल्कि उससे पहले संस्थान खोलते। सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार ने सिर्फ एक अप्रैल 2022 के बाद खोले गए संस्थानों को ही बंद किया है। उन्होंने कहा कि बंद किए गए 1094 स्कूलों में से 675 स्कूल ऐसे थे, जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं था, जबकि 419 स्कूलों में 5 से कम बच्चे थे और इन स्कूलों की दो किमी. की परिधि में दूसरा स्कूल भी था। उन्होंने कहा कि कम संख्या वाले स्कूल सिर्फ हिमाचल में ही बंद नहीं हुए, बल्कि भाजपा शासित राज्यों में भी बंद हुए हैं। इस मुद्दे पर राकेश जम्वाल, बिक्रम सिंह ठाकुर और अन्य ने भी प्रतिपूरक सवाल पूछे।

विपक्ष का व्यवहार निंदनीय

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने विपक्ष के हंगामे और वाकआउट के बाद कहा कि विपक्ष का व्यवहार निंदनीय है। उन्होंने कहा कि बीते दस वर्षों में देश में 75 हजार स्कूल बंद हुए हैं और हिमाचल इसमें अपवाद नहीं है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र जुब्बल-कोटखाई में भी जीरो एनरोलमेंट और कम संख्या वाले 19 स्कूल बंद किए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने साढ़े चार साल तक प्रदेश में एक भी कालेज नहीं खोला और अंतिम कुछ माह में डेढ़ दर्जन से अधिक कालेज खोलने की अधिसूचना जारी कर दी। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की गलत नीतियों के कारण हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में 21वें स्थान पर पहुंच गया है।

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने भी विपक्ष के व्यवहार को अवांछनीय करार दिया और कहा कि इसकी जरूरत नहीं थी, क्योंकि उन्होंने एक सवाल के लिए ही 50 मिनट दिए हैं।

—————