बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाने की मांग
लखनऊ, 30 दिसंबर (हि.स.)। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि नए वर्ष में प्रदेश के 42 जनपदों में निजीकरण के मसौदे पर पूर्ण विराम लगाकर बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। एनर्जी टास्क फोर्स में पारित पीपीपी माॅडल के मसौदे में अनेक लीगल व वित्तीय तकनीकी कमियां उजागर हुई हैं। ऐसे में अब पावर कारपोरेशन प्रबंधन को अपनी चूक मानते हुए सभी कार्मिकों को बिजली कंपनियों में अपना आंदोलन समाप्त करने की अपील करनी चाहिए।
पूर्वांचल व दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं, अभियंताओं व किसानों में आक्रोश व्याप्त है। पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव पर एनर्जी टास्क फोर्स के अनुमोदन पर बड़े पैमाने पर कमियां सामने उजागर होने के बाद मामले पर सभी ने चुप्पी साध रखी है। इस मामले में उपभोक्ता परिषद का कहना है कि ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार व पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को नए वर्ष 2025 में आगे आकर स्वत: मान लेना चाहिए कि जिस जल्दबाजी में निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था, उसमें बडे पैमाने पर कमियां सामने आईं। विद्युत अधिनियम 2003 द्वारा प्रावधानित नियमों व वित्तीय कमियां निकलीं, जिससे कहीं-कहीं उद्योगपतियों को फायदा होने वाला था। इसलिए अब बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कानून और नियमों की परिधि में रहकर पीपीपी मॉडल से आगे कार्यवाही की जाए। ताकि अभियंता कार्मिक नियमित रूप से पूरे मनोबल के साथ उपभोक्ता सेवा में लग सकें।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के 42 जनपदों का जिस प्रकार से पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। वह पूरी तरह असंवैधानिक, नियमों के विपरीत वित्तीय खामियों से भरा हुआ प्रस्ताव था, जिससे कहीं-न कहीं आने वाले समय में देश व प्रदेश के निजी घरानों को लाभ होता।